अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में अमेरिका में इनकम टैक्स खत्म करने और उसकी भरपाई के लिए दूसरे देशों से अधिक टैरिफ वसूलने का संकेत दिया है। उनका दावा है कि यह नीति अमेरिका को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगी, लेकिन अगर यह लागू होती है, तो इसका प्रभाव सिर्फ अमेरिका तक ही सीमित नहीं रहेगा। भारत समेत दुनियाभर के देशों को नई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
ट्रंप का प्रस्ताव
रिपब्लिकन इश्यूज कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा कि 1913 से पहले अमेरिका में इनकम टैक्स नहीं था, और यही कारण था कि अमेरिका आर्थिक रूप से समृद्ध था। उनका यह भी मानना है कि टैरिफ से होने वाली भारी कमाई ने ही अमेरिका को सबसे ताकतवर और धनवान बना दिया। उन्होंने यह प्रस्ताव भी रखा कि अमेरिका को अपने नागरिकों से टैक्स वसूलने के बजाय दूसरे देशों पर टैरिफ और टैक्स लगाना चाहिए। ट्रंप का दावा है कि इस नीति से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और अमेरिकी नागरिक समृद्ध होंगे।
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टैरिफ को कमाई का साधन बनाने की चिंता
हालांकि, ट्रंप का यह दावा कि दूसरे देशों पर टैरिफ से अमेरिकी खजाने में दौलत भर जाएगी, संदेहास्पद है। 1990 के दशक में वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) का मुख्य उद्देश्य देशों को टैरिफ घटाने पर सहमत करना था, ताकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार बढ़ सके। दुनिया भर के अधिकांश अर्थशास्त्री मानते हैं कि टैरिफ को कमाई का साधन बनाना सही नीति नहीं है, और यह ग्लोबलाइजेशन के सिद्धांतों के खिलाफ भी है।
ग्लोबल इकॉनमी पर प्रभाव
ट्रंप का टैरिफ बढ़ाने का फैसला न केवल भारत, बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए समस्या पैदा कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार धीमा हो सकता है, और देशों के बीच व्यापारिक विवाद बढ़ सकते हैं। ट्रंप ने भारत के नेतृत्व वाले ब्रिक्स (BRICS) देशों पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी भी दी है। यदि ऐसा हुआ, तो ब्रिक्स देशों को बड़ा झटका लग सकता है।
भारत को कैसे तैयार होना चाहिए?
अगर ट्रंप अपनी नीति को लागू करते हैं, तो भारत को इसके प्रभावों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। भारत को अपने निर्यात बाजार को और विविधित करना होगा और नए व्यापारिक साझीदारों की तलाश करनी होगी। इसके अलावा, आत्मनिर्भर भारत अभियान को और तेज करना जरूरी होगा ताकि बाहरी निर्भरता कम हो सके। भारत को वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अमेरिका की इस नीति के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और वैश्विक व्यापार संतुलन बनाए रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट करना होगा।