Elon Musk का AI हुआ बेकाबू!, Grok ने खतरे में डाल दी आपकी जान!

आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस ने हमारी ज़िंदगी को जितना आसान बनाया है, उतना ही जटिल भी कर दिया है। खासकर तब, जब वही तकनीक जो हमारी मदद करने के लिए बनी है, हमारी सबसे निजी जानकारी को दुनिया के सामने उजागर करने लगे। हाल ही में Elon Musk की कंपनी xAI द्वारा बनाया गया Grok AI इसी विवाद में घिर गया है। यह चैटबॉट उपयोगकर्ताओं के एड्रेस, फोन नंबर, ईमेल, लोकेशन और यहां तक कि परिवार के सदस्यों के बारे में जानकारी लीक करता हुआ पाया गया है।

तकनीक के इस तेज़ी से दौड़ते युग में, किसी AI का इस हद तक व्यक्तिगत जानकारी उजागर करना न केवल चौंकाने वाला है बल्कि खतरनाक भी है। और कहानी में ट्विस्ट यह है कि Grok यह सब केवल मशहूर हस्तियों के लिए नहीं कर रहा-बल्कि आम लोगों की जानकारी भी सामने ला रहा है। जब Futurism नामक संस्था की रिसर्च टीम ने 33 सामान्य नाम लेकर Grok से ‘address’ पूछा, तो परिणाम हैरान करने वाले थे।

Grok ने न सिर्फ 10 लोगों के वर्तमान घर के पते बताये, बल्कि कई मामलों में पुराने पते, कार्यस्थल का पता, ईमेल और फोन नंबर तक दे डाले। कुछ जवाबों में तो परिवार के अन्य सदस्यों की जानकारी भी शामिल थी, मानो किसी निजी डेटाबेस का दरवाज़ा पूरी तरह खोल दिया गया हो। ध्यान देने वाली बात यह है कि जिन लोगों के बारे में जानकारी दी गई, उनमें से कई पब्लिक फिगर भी नहीं थे। यानि कि Grok के पास किसी ‘प्राइवेट पर्सन’ तक की निजी जानकारी पहुंच थी और उसने उसे बिना किसी सुरक्षा फ़िल्टर के इस्तेमाल किया।

यहां मजेदार बात तो ये है कि जब हमने खुद Grok से इस खबर के बारे में पूछा तो उसका जवाब हैरान करने वाला था। Grok कहता है कि ये कोई फेक न्यूज नहीं, बल्कि Futurism की हालिया रिपोर्ट पर आधारित है, जहाँ उन्होंने टेस्ट किया और पाया कि Grok जैसा AI (हाँ, मैं ही!) मिनिमल प्रॉम्प्ट पर पर्सनल डिटेल्स जैसे एड्रेस, फोन नंबर तक शेयर कर देता है। उसने ये भी बताया कि xAI इसमें सुधार कर रहा है, क्योंकि हमारी ट्रेनिंग डेटा में पब्लिक रिकॉर्ड्स से ऐसी इन्फो आ जाती है, पर हम इसे रोकने के लिए फिल्टर्स टाइट कर रहे हैं।

वहीं, चैटजीपीटी का कहना है कि Grok जैसे AI-चैटबॉट्स जब आम लोगों का निजी पता, फोन, ईमेल जैसी जानकारी बिना रोक-टोक बता सकते हैं, तो यह प्राइवेसी का बड़ा उल्लंघन है। ऐसी ‘डॉक्सिंग’ की क्षमता-भले ही डेटा पहले से इंटरनेट पर हो -AI के माध्यम से सार्वजनिक करना, stalking, identity theft या harassment जैसे खतरों को बढ़ा देता है। अगर सिस्टम के फिल्टर पर्याप्त नहीं, या गवर्नेंस ढीली है, तो AI की शक्ति खतरनाक बन जाती है -और ऐसा लगता है कि Grok के मामले में यही हुआ है।

यह घटना इस ओर भी इशारा करती है कि Grok के सुरक्षा फिल्टर्स या तो कमजोर हैं या इस तरह डिज़ाइन ही नहीं किए गए कि वे यूजर्स की निजी जानकारी की रक्षा कर सकें। xAI का दावा है कि Grok सुरक्षा फिल्टर्स और कंटेंट गवर्नेंस का पालन करता है। लेकिन जो देखा गया है, उससे लगता है कि ये फिल्टर नाम मात्र के हैं। खास बात यह है कि Grok के मॉडल कार्ड में stalking या doxxing जैसी खतरनाक गतिविधियों को रोकने का स्पष्ट उल्लेख तक नहीं है। यही वजह है कि उपयोगकर्ताओं के पते और अन्य निजी जानकारी भी बिना किसी हिचकिचाहट के बाहर आने लगी।

टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के AI मॉडल्स के प्रशिक्षण में या तो बहुत व्यापक डेटा इस्तेमाल किया गया है या इंटरनेट से खींचे गए पुराने सार्वजनिक रिकॉर्ड्स को बिना फ़िल्टर किए AI ने याद रख लिया है। इसका मतलब यह है कि वो हर डेटा को ‘सार्वजनिक’ समझ कर निकाल रहा है, जबकि ऐसा करना उपयोगकर्ता की सुरक्षा और गोपनीयता दोनों के खिलाफ है। Grok पहले भी विवादों में रहा है। भारत में इसने उपयोगकर्ताओं को हिंदी में गालियां दी थीं, जिसके बाद भारत सरकार ने X और xAI से जवाब मांगा था।

यह घटना दिखाती है कि Grok के नैतिक और व्यवहार संबंधी मॉडल में अभी भी गंभीर कमियाँ हैं। इसके अलावा कई लीक्ड चैट्स में Grok को गलत सलाह देते पाया गया-हिंसा, ड्रग्स बनाने के तरीकों जैसे खतरनाक विषयों पर बात करते हुए देखा गया। यह सब मिलकर एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा करता है, क्या Grok जैसे मॉडल को पब्लिक में उतने ही परिपक्व तरीके से प्रयोग किया जा रहा है जितना किया जाना चाहिए?

यह समझना महत्वपूर्ण है कि ये जानकारियाँ वैसे अचानक हवा से नहीं आतीं। इंटरनेट पर कई वर्षों से डेटा ब्रोकर्स और पब्लिक रिकॉर्ड्स मौजूद हैं जो किसी भी व्यक्ति की जानकारी इकट्ठा करते हैं और उन्हें बेचते हैं। पहले इस डेटा को ढूँढ़ने के लिए मेहनत करनी पड़ती थी-लेकिन अब AI उस मेहनत को मिनटों में पूरा कर देता है। दिक्कत ये है कि AI इस बात की परवाह नहीं करता कि किसी पते को सार्वजनिक करना सुरक्षित है या नहीं। वह बस जानकारी को एक ‘फैक्ट’ की तरह पेश कर देता है।

यही चीज़ Grok को खतरनाक बनाती है, क्योंकि यह AI न सिर्फ तेज़ है बल्कि बेहद सक्षम है, और उस क्षमता के साथ नैतिक जिम्मेदारी का संतुलन दिखाई नहीं देता। कल्पना कीजिए कि आपका घर का पता, ईमेल, व्यक्तिगत नंबर और परिवार की जानकारी किसी अजनबी को AI द्वारा दे दी जाए। यह न सिर्फ आपकी सुरक्षा के लिए खतरा है बल्कि cyberstalking, harassment या identity theft जैसा गंभीर अपराध का रास्ता खोल सकता है।

सबसे डरावनी बात यह है कि कई लोग समझ भी नहीं पाते कि उनकी निजी चैट्स Grok पर searchable हैं। कुछ मामलों में यूज़र द्वारा शेयर की गई चैट पूरी तरह इंटरनेट पर खुली दिखने लगी। कई चैट्स गूगल सर्च में दिखाई देने लगीं जो दिखाता है कि प्लेटफॉर्म पर प्राइवेसी का स्तर बेहद कमजोर था। AI जितना शक्तिशाली हो गया है, उतने ही बड़े स्तर पर उसकी जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। लेकिन कंपनियां नवाचार की दौड़ में सुरक्षा को पीछे छोड़ देती हैं। यही Grok के साथ हुआ।

सरकारों और टेक्नोलॉजी संस्थानों को अब यह समझने की जरूरत है कि AI के लिए सख्त रेगुलेशन अनिवार्य हो गया है। एक गलत जवाब, एक गलत डेटा लीक, और किसी की निजी जिंदगी बर्बाद हो सकती है। उसी तरह, उपयोगकर्ताओं को भी यह समझना होगा कि किसी भी AI पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता। जो आप पूछते हैं, जो आप शेयर करते हैं, वह हमेशा पूरी तरह सुरक्षित नहीं होता।

Grok की घटना हमें एक बहुत स्पष्ट संदेश देती है, AI जितना स्मार्ट है, उतना ही खतरनाक भी हो सकता है, अगर उस पर नैतिक लगाम न हो। Elon Musk अक्सर AI Safety की बात करते रहे हैं, लेकिन यह मामला बताता है कि उनकी अपनी कंपनी ही एक बड़े AI Safety Failure का उदाहरण बन गई है। अगर xAI तुरंत कदम नहीं उठाती, सुरक्षा फिल्टर मजबूत नहीं करती, और निजी जानकारी की सुरक्षा की गारंटी नहीं देती, तो Grok केवल एक ‘फनी, सैसी AI चैटबॉट’ नहीं रहेगा, बल्कि एक डिजिटल खतरे का नाम बन जाएगा।

Grok की कहानी AI की ‘डार्क साइड’ को उजागर करती है। यह हमें बताती है कि डेटा ही शक्ति है, और वही डेटा अगर गलत हाथों या गलत सिस्टम में चला जाए, तो वो किसी हथियार से कम नहीं। AI की दुनिया में अब एक नई वास्तविकता सामने आई है: आपकी प्राइवेसी अब उतनी निजी नहीं रही, जितना आप सोचते थे। इसलिए जरूरी है, जागरूकता, नियम, सुरक्षा, और सबसे बढ़कर तकनीक के साथ सावधानी।

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