उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से निकाले गए बागी विधायक मनोज कुमार पांडेय (MLA Manoj Kumar Pandey) जल्द ही विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे सकते हैं। बताया जा रहा है कि उन्हें भाजपा नेतृत्व से उपचुनाव में टिकट और सरकार में अहम जिम्मेदारी का भरोसा मिला है।
राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की वजह से हुए निष्काषित
मनोज पांडेय इस समय रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक हैं। वह राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने के कारण चर्चा में आए थे। इसके बाद सपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। हालांकि, आठ बागी विधायकों में वे अब तक भाजपा में शामिल होने वाले एकमात्र विधायक हैं।
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पार्टी से निष्कासन के बाद मनोज पांडेय दल-बदल कानून के दायरे से बाहर हो गए हैं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक वे नैतिक आधार पर इस्तीफा देकर भाजपा टिकट पर दोबारा चुनाव लड़ना चाहते हैं। भाजपा नेतृत्व से उन्हें इस दिशा में स्पष्ट आश्वासन मिल चुका है।
सपा में संभाल चुके हैं कई अहम पद
गौरतलब है कि मनोज पांडेय चार बार के विधायक रह चुके हैं और 2004–07 व 2012–17 के दौरान सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। सपा में रहते हुए वे राष्ट्रीय सचिव और प्रदेश उपाध्यक्ष जैसे पदों पर भी कार्य कर चुके हैं। राज्यसभा चुनाव के समय भी वे विधानसभा में सपा के मुख्य सचेतक थे।
सूत्र बताते हैं कि भाजपा नहीं चाहती कि सपा के टिकट पर चुने गए किसी विधायक को बिना चुनाव के बड़ी जिम्मेदारी दी जाए, ताकि राजनीतिक संदेश स्पष्ट और सटीक रहे। इससे पहले दारा सिंह चौहान ने भी इसी तर्ज पर विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दिया था। हालांकि वे उपचुनाव हार गए, मगर भाजपा ने उन्हें विधान परिषद के रास्ते मंत्रीमंडल में शामिल कर लिया।
भाजपा की रणनीति अब यह संकेत दे रही है कि मनोज पांडेय को लेकर भी पार्टी लंबी योजना पर काम कर रही है। इस्तीफे के बाद होने वाले उपचुनाव में जीत दर्ज करने पर उन्हें सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है।