उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में एक सिपाही के पिता ने पुलिस कमिश्नर के सामने पहुंच कर अपनी परेशानी व्यक्त की है। दरअसल, उनका सिपाही बेटा पिछले पांच साल से कोमा में है। सिपाही के पिता जी ने पुत्र के इलाज में पिता के 65 लाख रुपये खर्च किए, लेकिन कोई सुधार नहीं आया। उनके खेत बिक गए। लोगाें से कर्ज लेना पड़ा। इसी बीच विभाग ने पुत्र को सेवानिवृत्त कर दिया। पेंशन के नाम पर पुत्र को 3080 रुपये महीने मिल रहे हैं। ऐसे में कैसे गुजारा हो। मामले में पुलिस कमिश्नर प्रीतिंदर सिंह ने जांच के आदेश दिए हैं।
2017 में हुआ था हादसा
जानकारी के मुताबिक, खंदौली के हसनपुरा गांव निवासी विशंभभर ने बताया उनकी घर में ही परचूनी की दुकान है। परिवार में दो पुत्र, एक पुत्री है। बड़ा पुत्र सागर सिंह वर्ष 2016 में पुलिस विभाग में आरक्षी के रूप में भर्ती हुआ था। सागर की पहली तैनाती गौतमबुद्ध नगर के थाना फेस-दो में थी। वह चार सितंबर 2017 को बाइक से समन तामील करने जा रहा था। रास्ते में यूटर्न पर एक स्कूटी सवार से टकरा गया। हेलमेट पहने होने के बावजूद वह गंभीर घायल हो गया। इस हादसे को पांच साल बीत गए लेकिन सिपाही अभी तक कोमा में ही है।
सिपाही के पिता ने अपने पुत्र का गौतमबुद्ध नगर और दिल्ली में करीब डेढ़ महीने उपचार कराया। जिसके बाद से आगरा लेकर आ गए। यहां पर उसका उपचार करा रहे हैं। पुत्र अभी तक कोमा से नहीं निकल सका। पिता ने बताया कि नवंबर 2021 में पुलिस विभाग ने पुत्र को सेवानिवृत्त कर दिया। उसे 3080 रुपये पेंशन मिल रही है। पिता का दर्द है कि पुत्र के प्रतिदिन की दवा और नली से खाना देने में ही हर महीने 14 से 15 हजार रुपये महीना खर्च हो जाते हैं। इतनी कम पेंशन में वह किस तरह से पुत्र का उपचार करा सकते हैं। उसके इलाज में उनके खेत पहले ही बिक चुके हैं।
बेटे का इलाज कराते कराते सिपाही के पिता कर्जे में डूब चुके हैं। उन्हें गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरेट से एक पत्र भेजा गया। जिसमें पुत्र के नाम के आगे स्वर्गीय लिखा था। जबकि बेटे को दो सप्ताह पहले ही चिकित्सक को दिखाया था। विभागीय कर्मचारियों से इसकी शिकायत की। उन्होंने गलती बताते हुए उसे सही करने के लिए कह दिया। अब तक हार कर उन्होंने आगरा के नए और पहले पुलिस आयुक्त प्रीतिंदर सिंह से गुहार लगाई है।
पुलिस कमिश्नर ने दिए जांच के आदेश
मामले में आगरा पुलिस कमिश्नर डा. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि सेवानिवृत्त आरक्षी के पिता मिले थे। मामले को दिखवाया जा रहा है। आरक्षी की नौकरी बहुत कम बताई गई है। जो पेंशन बनी है, उसे दिखा रहे हैं। त्रुटि होने पर उसे सही कराया जाएगा। स्वजन से कहा गया है कि वह उपचार से संबंधित बिल जमा करा दें। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जायेगी।
Also Read: सुल्तानपुर: इंस्पेक्टर निशू तोमर के अपहरण मामले में महिला थाना प्रभारी व सिपाही के खिलाफ FIR
( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )