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UP: अखिलेश सरकार में पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह ने किया था बड़ा खेल, गांव के युवकों को रेवड़ी की तरह बांटी थी नौकरियां, जांच में खुलासा

Rajkishore Singh samajwadi party government

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की सरकार के दौरान 2014 में पशुधन विभाग में हुई भर्तियों के खेल में तत्कालीन पशुधन मंत्री राजकिशोर सिंह (Minister Raj Kishore Singh) की मुश्किलें बढ़ गई हैं। राज्य विशेष जांच दल (एसएसआईटी) की जांच में पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह के भर्ती घोटाले में संलिप्त होने के सबूत जुटाए गए हैं। बताया जा रहा है कि नियमों को ताक पर रखकर पूर्व मंत्री ने अपने गृह जिला बस्ती व अपने गांव के कई युवकों को भी नौकरियां रेवड़ी की तरह बांटी थीं।

पशुधन प्रसार अधिकारी के पद पर हुई थी भर्तियां

मंत्री के अनुमोदन पर पशुधन प्रसार अधिकारी के पद पर भर्तियां की गई थीं। एसएसआईटी की सिफारिश पर शासन ने पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह व तत्कालीन प्रमुख सचिव, पशुधन योगेश कुमार (रिटायर्ड) के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति प्रदान किए जाने की परमिशन दी है। पशुधन मंत्री धर्मपाल ने इसकी पुष्टि की है। उनका कहना है कि यमों की अनदेखी कर भर्तियां की गई थीं। मामले में हाई कोर्ट ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

नियमावली दरकिनार कर भर्ती के लगे थे आरोप

जानकारी के मुताबिक, पशुधन विभाग में साल 2014 में 1198 पदों पर पशुधन प्रसार अधिकारियों की भर्ती की परीक्षा में लाखों अभ्यर्थी शामिल हुए थे। इनमें 1005 चयनित अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण के बाद पशुधन प्रसार अधिकारी के पद पर नियुक्त किया गया था।

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इसी बीच कई परीक्षार्थियों ने नियमावली को दरकिनार कर भर्तियां किए जाने का आरोप लगाया था। 34 परीक्षार्थियों ने इसे लेकर हाई कोर्ट में रिट भी दाखिल की थी। परीक्षा में साक्षात्कार के 20 अंक थे। जबकि 80 अंकों का प्रश्नपत्र दिया गया था। परीक्षा में आनलाइन आवेदन किए जाने थे।

हाईकोर्ट के निर्देश पर एसएसआईटी ने शुरू की थी जांच

आरोप था कि कई अभ्यर्थियों के आवेदन पशुधन विभाग में सीधे भी लिए गए थे। वहीं कई अभ्यर्थियों को तो बिना लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित हुए ही साक्षात्कार के लिए पत्र भेजे जाने के गंभीर आरोप भी लगे थे। हाई कोर्ट के निर्देश पर दिसंबर, 2017 में एसएसआइटी ने प्रकरण की जांच शुरू की थी।

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इसके बाद लखनऊ, कानपुर, देवीपाटन, फैजाबाद, गोरखपुर व बस्ती समेत 17 मंडल के तत्कालीन अपर निदेशकों सहित अन्य अधिकारियों को पूछताछ के लिए तलब किया गया था। जांच के बाद जुलाई, 2021 में 28 आरोपितों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई गई थी। एसएसआइटी ने जुलाई, 2022 में अपनी ड्राफ्ट फाइनल रिपोर्ट शासन को भेजी थी, जिसमें भर्ती में धांधली केे लिए दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई समेत अन्य संस्तुतियां की गई थीं।

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