राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख सूत्रधार और पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का निधन, रीवा में ली अंतिम सांस

UP: राम मंदिर आंदोलन से जुड़े संत और पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का सोमवार को निधन हो गया। उन्होंने दोपहर 12.20 बजे मध्यप्रदेश के रीवा में अंतिम सांस ली। वे 75 वर्ष के थे। रीवा में रामकथा के दौरान उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पिछले दो दिनों से उनका इलाज रीवा के एक निजी अस्पताल में चल रहा था। सोमवार सुबह उनकी हालत और गंभीर हो गई। उन्हें एयरलिफ्ट कर भोपाल एम्स ले जाने की तैयारी की गई थी। एयर एम्बुलेंस मौके पर पहुंच भी गई, लेकिन घने कोहरे के कारण लैंड नहीं कर सकी। वही अब संत समाज और उनके अनुयायियों में शोक की लहर दौड़ गई।

अयोध्या में शोक, संत समाज में गहरी संवेदना

डॉ. वेदांती के निधन की सूचना मिलते ही रामनगरी अयोध्या में शोक का माहौल छा गया। संत-महंतों, धार्मिक संगठनों और रामभक्तों ने गहरा दुख व्यक्त किया है। संत समाज ने उनके निधन को “अयोध्या के एक युग का अवसान” बताते हुए कहा कि उनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा।

पार्थिव शरीर अयोध्या लाने की तैयारी

परिजनों और उत्तराधिकारियों द्वारा पार्थिव शरीर को मध्य प्रदेश से अयोध्या लाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। जानकारी के अनुसार, कुछ ही समय में पार्थिव शरीर अयोध्या के लिए रवाना किया जाएगा, जहां अंतिम दर्शन और अंतिम संस्कार की तैयारियां की जा रही हैं। मंगलवार को सरयू नदी में जलसमाधि दी जाएगी।

राम मंदिर आंदोलन में अमिट योगदान

डॉ. रामविलास दास वेदांती राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेताओं में रहे और आंदोलन के संघर्षपूर्ण दौर में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संत, सांसद और विचारक के रूप में उनका संपूर्ण जीवन रामभक्ति, राष्ट्रचेतना और सामाजिक जागरण को समर्पित रहा। उनके निधन से जो शून्य उत्पन्न हुआ है, उसे भर पाना कठिन बताया जा रहा है।

डॉ. रामविलास दास वेदांती का राजनीतिक सफर

पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का राजनीतिक सफर धर्म, समाज और राष्ट्रवादी विचारधारा से गहराई से जुड़ा रहा। वे एक हिंदू संत, विद्वान और विचारक के रूप में पहचाने जाते थे और लंबे समय तक सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहे।उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से की। वे राम जन्मभूमि आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़े रहे और इस आंदोलन के प्रमुख चेहरों में उनकी गिनती होती थी। अपने प्रखर वक्तव्यों और स्पष्ट विचारों के कारण वे राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुए। डॉ. रामविलास दास वेदांती 1996 से 1998 तक उत्तर प्रदेश के मच्छलिशहर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए। इसके बाद वे 1998 से 1999 तक प्रतापगढ़ लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा सदस्य रहे। संसद में रहते हुए उन्होंने धार्मिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर मुखर भूमिका निभाई।राजनीति के साथ-साथ वे एक धार्मिक आचार्य और शिक्षाविद् भी थे। उन्होंने हिंदू दर्शन, वेद-पुराण और भारतीय संस्कृति पर कई विषयों पर लेखन और प्रवचन किए। उनका राजनीतिक सफर विचारधारा-आधारित था, जिसमें धर्म और राष्ट्र दोनों को केंद्रीय स्थान प्राप्त था।

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