इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह (Former MP Dhananjay Singh) को बड़ा झटका देते हुए 2002 के वाराणसी के कैंट थाना क्षेत्र नदेसर टकसाल शूटआउट से जुड़े गैंगस्टर एक्ट मामले में उनकी क्रिमिनल अपील को खारिज कर दिया। धनंजय सिंह ने ट्रायल कोर्ट द्वारा चार आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी, जिसे न्यायमूर्ति लक्ष्मी कांत शुक्ला की एकल पीठ ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उन्होंने बाहुबली विधायक अभय सिंह 9, एमएलसी विनीत सिंह, संदीप सिंह, संजय सिंह, विनोद सिंह और सतेंद्र सिंह उर्फ बबलू सहित अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज अपराध व्यक्ति नहीं, बल्कि समाज और राज्य के खिलाफ माना जाता है। ऐसे में शिकायतकर्ता या घायल व्यक्ति को ‘पीड़ित’ की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। अदालत ने यह भी कहा कि निवारक कानूनों का प्रवर्तन राज्य की विशेष जिम्मेदारी है और किसी निजी व्यक्ति को इस भूमिका में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं दिया जा सकता।
धनंजय सिंह का दावा
सुनवाई के दौरान धनंजय सिंह के वकीलों का दावा था कि वह मूल घटना में घायल होने और एफआईआर दर्ज कराने वाले व्यक्ति के रूप में ‘पीड़ित’ की परिभाषा में आते हैं, इसलिए उन्हें अपील करने का अधिकार है। वहीं राज्य सरकार ने तर्क दिया कि गैंगस्टर एक्ट में अपराध सामूहिक हित के खिलाफ माना जाता है, इसलिए ऐसे मामलों में व्यक्तिगत शिकायतकर्ताओं की अपील स्वीकार्य नहीं हो सकती। अदालत ने सरकार के तर्क को उचित मानते हुए अपील को खारिज कर दिया।
क्या था 2002 का ‘ओपन शूटआउट’?
4 अक्टूबर 2002 को वाराणसी के नदेसर स्थित टकसाल सिनेमा के पास धनंजय सिंह के काफिले पर AK-47 जैसे हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग की गई थी। यह घटना वाराणसी का पहला ‘ओपन शूटआउट’ कही गई। इस हमले में धनंजय सिंह सहित उनके सुरक्षाकर्मी घायल हुए थे और उन्होंने कई राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज कराया था।
ट्रायल कोर्ट में नहीं मिले थे सबूत
29 अगस्त 2025 को वाराणसी के स्पेशल जज (गैंगस्टर एक्ट) ने चार आरोपियों को साक्ष्य न मिलने के आधार पर संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। इसी फैसले को धनंजय सिंह हाईकोर्ट में चुनौती देने पहुंचे थे, लेकिन अदालत ने इसे स्वीकार नहीं किया और उनके पूरे मामले को कानूनन अस्थिर पाते हुए खारिज कर दिया।

















































