समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के दिग्गज नेता आज़म खान (Azam khan) करीब 23 महीने सीतापुर जेल में रहने के बाद अब रिहा हो गए । उनकी रिहाई ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। सपा से नाराज़गी की चर्चाओं के बीच कांग्रेस (Congress) और बहुजन समाज पार्टी (BJP) में उनकी डिमांड अचानक बढ़ गई है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जेल से बाहर आने के बाद आज़म खान अपनी राजनीतिक दिशा बदल सकते हैं।
बसपा का खुला न्योता
बसपा विधायक उमा शंकर सिंह ने संकेत दिया है कि अगर आज़म खान उनकी पार्टी में शामिल होना चाहें, तो उनका स्वागत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हर वोट और हर कार्यकर्ता पार्टी को मज़बूत बनाता है, और बसपा में आज़म खान जैसे नेता का स्वागत करने में उन्हें कोई हिचक नहीं होगी। इस बीच यह चर्चा भी गर्म है कि हाल ही में आज़म खान की पत्नी और पूर्व सांसद डॉ. ताजीन फातिमा ने दिल्ली में मायावती से मुलाकात की है, हालांकि इस पर आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
कांग्रेस ने साधा सपा पर निशाना
कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत ने भी आज़म खान का पक्ष लेते हुए बीजेपी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि आज़म खान को जानबूझकर प्रताड़ित किया गया, जो इतिहास में दर्ज होगा। राजपूत के मुताबिक, उनके खिलाफ एक मुकदमा खत्म भी नहीं होता कि दूसरा दर्ज कर दिया जाता है। यही नहीं, कांग्रेस के भीतर यह भी चर्चा है कि प्रियंका गांधी का आज़म खान के परिवार से सीधा संपर्क बना हुआ है और हाल ही में उनकी फोन पर बातचीत भी हुई है।
अखिलेश से दूरी और आगे की रणनीति
सूत्र बताते हैं कि जेल में लम्बे समय तक बंद रहने के दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज़म खान से दूरी बनाए रखी, जिससे वे नाराज़ हैं। अब माना जा रहा है कि बाहर आने के बाद आज़म कोई बड़ा राजनीतिक फैसला ले सकते हैं। मुस्लिम समुदाय में उनकी पकड़ और सहानुभूति अब भी मज़बूत मानी जा रही है। यही वजह है कि उनके अगले कदम का इंतज़ार न सिर्फ़ उनके समर्थकों को है बल्कि सपा समेत सभी दलों को भी है।