बीमारी के बाद से अंतिम सफर तक, हर कदम पर कल्याण सिंह के अपनों से भी बढ़कर दिखे योगी

राममंदिर आंदोलन के अग्रेता माने जाने वाले यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Kalyan Singh) इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गये। उनके अंतिम सफर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) उनके अपनों से बढ़कर दिखे और कदम-कदम पर साथ नजर आए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व राज्यपाल कल्याण सिह के शनिवार रात को निधन के बाद से ही मोर्चा संभाल लिया। कल्याण सिह के निधन की सूचना मिलते ही सीएम योगी आदित्यनाथ संजय गांधी पीजीआई पहुंचे। इसके बाद पार्थिव देह के साथ मॉल एवेन्यू उनके आवास पर पहुंचे। इसी रात से ही कल्याण सिह की अंतिम यात्रा की तैयारी में लगे सीएम योगी आदित्यनाथ ने अलीगढ़ में उनकी अंत्येष्टि के कार्यक्रमों की कमान संभाल रखी है।


योगी आदित्यनाथ शनिवार रात में कई बार कल्याण सिंह के घर गए। वहां पर उन्होंने अपने मंत्रियों की ड्यूटी लगाई। रात में ही कैबिनेट की बैठक कर शोक प्रस्ताव पास कराया। इसके बाद रात में ही शांति पाठ भी शुरू कराया। कल्याण सिंह के आवास पर पूजा-पाठ के साथ अंतिम दर्शन की ड्यूटी की जिम्मेदारी मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को सौंपी। पार्थिव देह को विपक्षी दलों के नेताओं के दर्शन कराने के लिए विज्ञान भवन में रखा गया। जहां पर कल्याण सिंह के अंतिम दर्शन की ड्यूटी संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना व मंत्री सिद्घार्थ नाथ सिंह को दी गई। कल्याण सिंह के आवास से विज्ञान भवन तक पार्थि देह को लाने की जिम्मेदारी डॉ. महेन्द्र सिंह व आशुतोष टंडन को सौंपी गई।


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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लखनऊ आगमन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनकी अगवानी करने एयरपोर्ट पर गए। प्रधानमंत्री मोदी के दिल्ली जाने के बाद मुख्यमंत्री योगी फिर से कल्याण सिंह के घर पहुंचे। जहां से कल्याण सिह का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए यूपी विधानमंडल और पार्टी कार्यालय लाया गया। योगी उस दौरान दोनों जगह की व्यवस्था की देखरेख करते नजर आए। रविवार शाम एयर एंबुलेंस से कल्याण सिह का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव अतरौली लाया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव भी पार्थि देह के साथ हेलीकॉप्टर में अलीगढ़ पहुंचे थे।


अलीगढ़ पहुंचकर मुख्यमंत्री योगी ने अहिल्याबाई स्टेडियम का जायजा लिया। इस दौरान वह अधिकारियों को निर्देश देते नजर आए। वहीं, अंतिम संस्कार की तैयारियों की जानकारी लेते रहे। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को अंतिम विदाई देने के लिए योगी सरकार परिवार की तरह काम कर रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रभारी मंत्री सुरेश राणा ने अहिल्याबाई होल्कर स्टेडियम, अतरौली गेस्ट हाउस और कल्याण सिह के गांव मढ़ौली से लेकर नरौरा तक के सड़क मार्ग का निरीक्षण किया।


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भाजपा के प्रदेश मंत्री चन्द्रमोहन सिंह ने बताया कि जननायक कल्याण सिंह की बीमारी के बाद ही मुख्यमंत्री योगी अपने परिवार के मुखिया की तरह उनकी देखभाल करते रहे। 4 जुलाई से जब बाबू जी भर्ती हुए तभी मुख्यमंत्री जी हर रोज डाक्टरों से हाल-चाल उनकी दिनचर्या में शामिल था। इसके बाद वह कई बार उन्हें देखने भी पहुंचे। अंतिम सफर में भी वह अपने जननायक के लिए एक परिजन की तरह नजर आए।


करीब ढाई दशक से मुख्यमंत्री योगी और मंदिर को कवर करने वाले पत्रकार गिरीश पांडेय कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी जिस गोरक्षपीठ (गोरखपुर) के पीठाधीश्वर हैं, उसकी तीन पीढ़ियां (ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ, ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ और मुख्यमंत्री के रूप में मौजूदा पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ) राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे। दिवंगत कल्याण सिह, राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेताओं में थे। मंदिर के लिए सत्ता छोड़ने में उन्होंने एक क्षण भी नहीं लगाया। राम मंदिर आंदोलन जब शीर्ष पर था तो अयोध्या से पास होने और इससे पीठ के जुड़ाव, इस आंदोलन के अगुआ परमहंस दास, अशोक सिघल आदि से बड़े महाराज (ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ) के आत्मीय रिश्ते के कारण गोरखनाथ मंदिर इस आंदोलन का केंद्र बन गया था।


मंदिर आंदोलन पीठ की इस केंद्रीय भूमिका के नाते के राम के नाम पर सत्ता कुर्बान करने वाले कल्याण सिंह का खास लगाव था। वह बड़े महाराज ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ का बहुत सम्मान करते थे। यही वजह है कि जब भी गोरखपुर जाते थे, बड़े महाराज से मिलने जरूर जाते थे। हर मुलाकात के केंद्र में राम मंदिर ही होता था। इस मुद्दे पर दोनों में लंबी चर्चा होती थी। दोनों का एक ही सपना था, उनके जीते जी अयोया में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो। कल्याण सिंह इस मामले में खुश किस्मत रहे कि उनके जीते जी ही मंदिर का निर्माण शुरू हो गया। राम मंदिर निर्माण को लेकर उनका अटूट विश्वास था। इन्हीं रिश्तों के नाते योगी जी ने उनके इलाज और अंतिम संस्कार में उनके अपने जैसी दिलचस्पी ली।


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