सुनीता विलियम्स, जो भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री हैं, अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर लंबे समय से कार्यरत हैं, उनकी धरती पर वापसी को लेकर हाल ही में नासा ने पुष्टि की है। उनका मिशन, जो शुरू में केवल 10 दिन के लिए निर्धारित था, अब तकनीकी समस्याओं के कारण 9 महीने तक खिंच गया। इसने न केवल अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्रों में सवाल उठाए, बल्कि अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य और मिशन की निरंतरता को लेकर भी चिंताएं पैदा की हैं।
10 दिन का मिशन कैसे 9 महीने में बदल गया?
सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर को 5 जून 2024 को बोइंग स्टारलाइनर कैप्सूल के जरिए आईएसएस भेजा गया था। मिशन का मुख्य उद्देश्य आईएसएस पर 10 दिन बिताना था, जिसमें कई वैज्ञानिक प्रयोग और स्पेसवॉक (अंतरिक्ष में बाहर काम करने) शामिल थे। हालांकि, बोइंग स्टारलाइनर कैप्सूल में कुछ गंभीर तकनीकी समस्याएं सामने आईं।इन समस्याओं में मुख्य रूप से प्रोपल्शन सिस्टम (प्रणोदन प्रणाली) की खराबी और ईंधन रिसाव (प्रोपेलेंट लीक) जैसी खामियां थीं। इन समस्याओं ने न केवल यात्रा की स्थिरता को प्रभावित किया, बल्कि नासा को यह निर्णय लेने पर मजबूर किया कि दोनों अंतरिक्ष यात्री उसी कैप्सूल से वापस नहीं लौटेंगे। बाद में, बोइंग स्टारलाइनर को बिना क्रू के रिमोट कंट्रोल से पृथ्वी पर वापस लाया गया।इस दौरान, सुनीता और बुच विलमोर को आईएसएस पर रोक दिया गया, ताकि बाकी क्रू मिशन का शेड्यूल प्रभावित न हो और अन्य अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसने दोनों अंतरिक्ष यात्रियों के लिए न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक चुनौती भी पेश की, क्योंकि उनके लिए एक लंबा और अप्रत्याशित मिशन बन गया।
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स्पेसएक्स से वापसी की तारीख
अब नासा ने सुनीता विलियम्स और उनकी टीम की वापसी के लिए एक नई योजना बनाई है। मार्च 2025 में, सुनीता, बुच विलमोर और अन्य दो अंतरिक्ष यात्री स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन कैप्सूल के जरिए धरती पर वापस लौटेंगे। स्पेसएक्स का क्रू-10 मिशन 12 मार्च 2025 को लॉन्च होने के लिए निर्धारित है, और इसी मिशन की वापसी उड़ान में सुनीता और उनकी टीम धरती पर लौटेगी।स्पेसएक्स के इस कैप्सूल को उड़ान भरने और वापसी के लिए एक सुरक्षित और विश्वसनीय साधन माना जाता है। स्पेसएक्स के क्रू-10 मिशन के अंतर्गत अंतरिक्ष यात्री अपनी निर्धारित यात्रा पूरी करेंगे और फिर पृथ्वी पर लौटने के बाद उन्हें वैज्ञानिक, शारीरिक और मानसिक परीक्षा से गुजरना होगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के बाद उनके स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा है।
सुनीता विलियम्स का ऐतिहासिक रिकॉर्ड
अपनी इस यात्रा के दौरान सुनीता विलियम्स ने कुछ अहम उपलब्धियाँ भी प्राप्त की हैं। विशेष रूप से, उन्होंने किसी महिला द्वारा सबसे लंबे समय तक स्पेसवॉक करने का रिकॉर्ड तोड़ा। उन्होंने कुल 62 घंटे और 6 मिनट तक स्पेसवॉक किया, जो किसी महिला के लिए अब तक का सबसे लंबा समय है। यह उपलब्धि अंतरिक्ष में कार्य करने वाले अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को प्रेरित करने के रूप में देखी जा रही है, खासकर महिला अंतरिक्ष यात्रियों को।इतना ही नहीं, सुनीता ने आईएसएस की कमांडर के रूप में भी कार्य किया। उनका नेतृत्व न केवल विज्ञान में, बल्कि अंतरिक्ष यात्रा के इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। वह अंतरिक्ष में भारतीय मूल की पहली महिला कॅस्मोनॉट हैं, जिन्होंने ऐसे ऐतिहासिक कारनामे किए हैं, जिससे उनका नाम हमेशा याद रखा जाएगा।
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क्या है मौजूदा हालात?
नासा के अधिकारियों ने आधिकारिक रूप से यह स्वीकार नहीं किया कि लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से सुनीता विलियम्स के स्वास्थ्य पर असर पड़ा है, लेकिन अंतरिक्ष में ज्यादा समय बिताने के कारण मानव शरीर पर शारीरिक और मानसिक प्रभाव पड़ता है।इसका प्रमुख कारण गुरुत्वाकर्षण की कमी है, जिससे शरीर के हड्डियों और मांसपेशियों की संरचना पर असर पड़ता है। अंतरिक्ष यात्रियों को कैल्शियम और विटामिन डी की कमी का सामना करना पड़ सकता है, जिससे हड्डियों में कमजोरी आ सकती है। इसके अलावा, लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से मानसिक थकान, सोने में समस्या, और किसी हद तक एकाग्रता की कमी जैसे मानसिक असर हो सकते हैं।अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के कारण, नासा ने सुनीता विलियम्स और उनके अन्य साथी अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य की निगरानी भी की थी, और उनकी वापसी के बाद एक पूरी चिकित्सा प्रक्रिया से गुजरने का निर्णय लिया है।