परिवार के हर सुख-दुःख का अनुभव करती है गाय, जानिए हिंदू धर्म में क्यों दी गई माता की संज्ञा

आज 22 नवंबर को गोपाष्टमी (Gopashtami 2020) मनाई जा रही है. हिंदू धर्म में गोपाष्टमी का विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, गोपाष्टमी हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. यह धार्मिक पर्व गोकुल, मथुरा, ब्रज और वृंदावन में मुख्य रूप से मनाया जाता है. गोपाष्टमी के दिन गौ माता, बछड़ों और दूध वाले ग्वालों की आराधना की जाती है. मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा पूर्वक पूजा पाठ करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं सनातन धर्म में गाय को क्यों दिया है इतना महत्व..


प्राचीन समय से ही हिन्दू धर्म में गाय को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. हर कोई जानता है कि हिंदू धर्म में गाय को माता माना जाता है. गाय एक पवित्र जानवर है जो हमारी दैनिक जीवन की कई जरूरतों को पूरा करने में काफी लाभकारी होती है. यही नहीं हिन्दू धर्म के अनुसार गाय व्यक्ति के स्वर्ग जानें की सीढ़ी भी है. गाय को स्वयं भगवान ने मनुष्यों का कल्याण करने के लिए पृथ्वी पर भेजा है. अगर गौ माता को प्रसन्न कर दिया जाए तो व्यक्ति की सभी इच्छाओं की पूर्ति हो जाती है.


वास्तुशास्त्र के अनुसार गाय का महत्व-

गाय के दूध से लेकर उनका गोबर भी बहुत शुभ होता है. किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले गाय के गोबर से लिपाई की जाती है. हालांकि अब यह प्रचलन केवल गांवों तक ही सिमित रह गया है. गाय का महत्व वास्तुशास्त्र में भी बताया गया है. अगर आप कोई नया प्लाट या जमीन घर बनवाने के लिए खरीद रहे हैं तो उस जगह पर गाय और उसके बछड़े को साथ में बाँधने से उस स्थान का वास्तु दोष ख़त्म हो जाता है.


वास्तु दोषों से मिलती है पूर्णतया मुक्ति-

गाय की सेवा से वास्तुदोषों से मुक्ति मिल जाती है और भवन निर्माण का कार्य बिना किसी बाधा के पूरा हो जाता है. भवन निर्माण के समापन तक कोई भी समस्या उत्पन्न नहीं होती है, चाहे वह आर्थिक हो या अन्य किसी तरह की समस्या. भारत में गाय पालने को एक कर्तव्य माना जाता है. सभी प्राणी पाश में बंधे होने की वजह से पशु ही हैं, जिनके स्वामी पशुपति नाथ हैं. पशु रूपी गाय पुरे श्रृष्टि की है और गाय इस श्रृष्टि की संरक्षक है. वह सभी इंसानों के दुखों का हरण करके उन्हें सुखी जीवन प्रदान करती है.


गाय के मुँह का झाग गिरने से पवित्र होती है जमीन

गाय के रूप में पृथ्वी की करुण पुकार और भगवान विष्णु से अवतार के लिए निवेदन के प्रसंग बहुत प्रसिद्ध हैं. प्रसिद्ध वृहद् वास्तु ग्रन्थ और विमानन ग्रन्थ गौ के रूप में पृथ्वी ब्रह्मादि के समागम, संवाद से ही शुरू होता है. प्रसिद्ध वास्तु ग्रन्थ “मयमतम” यह उल्लिखित है कि भवन निर्माण करने से पूर्व उस भूमि पर गाय और उसके बछड़े को एक साथ बांधना चाहिए. जब गाय अपने नवजात बछड़े को प्यार-दुलार से चाटती है तो उसके मुँह से झाग गिरता है, जो भूमि को पवित्र बनाता है. वहाँ होने वाले सभी दोषों का भी नाश हो जाता है.


परिवार के हर सुख-दुःख का अनुभव करती है गाय

साँस लेती हैं, उस जगह के सभी पाप अपने आप नष्ट हो जाते हैं. सही अर्थों में कहा जाए तो गाय पाप संहारक और वास्तु दोषों से मुक्ति दिलाने वाली है. भारत में गाय हमेशा से ही परिवार का सदस्य रही है. जिस घर में गाय पाली जाती है, लोग उसे अपने घर का सदस्य ही मानते हैं. लगभग सभी हिन्दू कर्मकांड में गाय की आवश्यकता महत्वपूर्ण होती है. जबसे भारत में लोगों ने गाय को घरों से विस्थापित करना शुरू किया है, तब से अनेक समस्याओं से घिर गए हैं. गाय परिवार के हर सुख-दुःख का अनुभव भी करती है.


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