गोरखपुर: 40 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन करने दलित के घर पहुंचे CM योगी, खिचड़ी खाकर दिया सामाजिक समरसता का संदेश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने गोरक्षपीठ की 40 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन करने के लिए शुक्रवार को गोरखपुर में दलित अमृत लाल भारती (Dalit Amrit lal Bharti) के घर पहुंचे और खिचड़ी (Khichdi) भोज किया। इसके बाद सीएम योगी ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि भ्रष्टाचार जिनके जीन्स का हिस्सा हो, वे सामाजिक न्याय की लड़ाई नहीं लड़ सकते।

मुख्यमंत्री ने अमृत लाल के घर खिचड़ी खाकर सामाजिक समरसता का संदेश दिया। बता दें दलित के घर खिचड़ी खाने की परंपरा करीब 40 वर्ष पुरानी है। मुख्यमंत्री पूर्व में भी इस परंपरा का निर्वहन करते रहे हैं। उनसे पूर्व में ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ इस परंपरा का निर्वहन करते रहे हैं। मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर अमृत लाल का परिवार सुबह से उत्साहित था। उनके घर में सुबह से तैयारी की जा रही थी। अमृत लाल भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैं। उनका परिवार करीब 30 वर्षों से गोरखनाथ मंदिर से जुड़ा हुआ है।

इस दौरान उन्होंने कहा कि इस दलित बस्ती में सुशासन और विकास का संदेश देने और अस्पृश्यता की भावना को पूरी तरह समाप्त करने के संकल्प को पूरा करने के लिए आए हैं। समतामूलक समाज की स्थापना,भ्रष्टाचार मुक्त, अपराध मुक्त व्यवस्था यानी सुशासन का हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि वंशवाद, और परिवारवाद की राजनीति करने वाले सामाजिक न्याय के समर्थक नहीं हो सकते। सामाजिक समरसता और न्याय की लड़ाई भाजपा ने लड़ी है। सामाजिक न्याय यह है कि शासन की योजनाओं का लाभ हर गरीब को मिले, हर तबके के लोगों को मिले, उनके साथ सामाजिक-आर्थिक भेदभाव न हो, और, यही भाजपा का मूल मंत्र है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पिछले पांच साल में पीएम मोदी के मार्ग में लागू कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हर गांव, हर गरीब, हर किसान, मजदूर, महिला, नौजवान तक बिना भेदभाव पहुंचाया है। आज उसी का परिणाम है कि प्रदेश में 45 लाख गरीबों को आवास मिले,2.61 करोड़ गरीबों के घरों में शौचालय बने। किसी भी दलित बस्ती चले जाइये, यह सब दिखेगा। कोरोना महामारी के दौरान लोगों को मुफ्त डबल राशन दिया जा रहा है, यह डबल इंजन सरकार की तरफ से राहत का डबल डोज है। यह सब सामाजिक न्याय का ही हिस्सा है।

सीएम योगी ने कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार को देखे तो मात्र 18,000 आवास उन्होंने पांच साल में दिया था। गरीबों के मकान पर कब्जा, जमीनों पर कब्जा कर होता था। अगर यही सामाजिक समरसता है, तो उसका मैं विरोध करता हूं।

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