सिविल सेवा परीक्षा की नीतियों पर लगातार जारी घमासान पर विराम लगाते हुए सरकार ने सभी ख़बरों का खंडन कर दिया है जिनमें कहा जा रहा था कि नीति आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों की अधिकतम आयु सीमा घटाने की सिफारिश की है. पीएमओ में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को कहा कि सिविल सेवा परीक्षा में उम्र सीमा के बदलाव के लिए सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है. उन्होंने सभी बातों का खंडन करते हुए कहा की फिलहाल सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए अधिकतम आयु सीमा 32 साल, एससी/ एसटी के लिए अधिकतम आयु सीमा 37 साल है.
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सभी सिविल सेवाओं के लिए एक हो एक परीक्षा
गौरतलबा है की पिछले दिनों नीति आयोग ने न्यू इंडिया के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय रणनीति तैयार की थी जिसमें सिविल सर्विसेज की परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों की अधिकतम आयु सीमा कम करने की सिफारिश की गई थी, साथ ही सिविल सेवा परीक्षा के अलावा बुनियादी शिक्षा में भी कई बदलाव की बात कही गई थी. और आयोग ने सुझाव में यह भी कहा था कि सभी सिविल सेवाओं के लिए सिर्फ एक ही परीक्षा ली जानी चाहिए. गौरतलब है की इस समय केंद्र और राज्य स्तर पर 60 से ज्यादा अलग-अलग तरह की सिविल सेवाएं हैं.
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नीति आयोग द्वारा दिए गए सुझाव में कि नौकरशाही में उच्च स्तर पर विशेषज्ञों की लेटरल एंट्री को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए. गौरतलब है कि नीति आयोग ने ‘नए भारत के लिये रणनीति @75’ शीर्षक से दस्तावेज जारी किया था. इसमें कहा गया कि सिविल सर्विसेज में समानता लाने के लिए इनकी संख्या में भी कमी की जानी चाहिए. मौजूदा समय में सिविल सेवाओं में चयनित होने वाले अभ्यर्थियों की औसत उम्र साढ़े 25 साल है और भारत की एक-तिहाई से ज्यादा आबादी की उम्र इस समय 35 साल से कम है.