उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को महाराजगंज की जिला आदालत ने करारा झटका दिया है। उन्हें करीब 19 साल पुराने हत्या के एक मामले में कानून नोटिस भेजा गया है। 1999 का यह मामला गोरखपुर में समाजवादी पार्टी के एक नेता के सिक्योरिटी ऑफिसर की हत्या से जुड़ा है। इस नोटिस ने न केवल सीएम योगी की परेशानी बढ़ा दी है बल्कि इसका असर 2019 के लोकसभा चुनाव पर भी पड़ता नजर आ रहा है।
सीएम योगी को एक हफ्ते में देना होगा जवाब
टाइम्स नाऊ की खबर के मुताबिक, इस कानूनी नोटिस का जवाब देने के लिए योगी आदित्यनाथ को एक हफ्ते का समय दिया गया है। सीएम योगी के खिलाफ पहला मामला महाराजगंज कोतवाली में पंचरुखिया कांड में दर्ज किया गया था। कब्रिस्तान और तालाब की जमीन को लेकर दो समुदायों में विवाद था।
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रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में सपा नेता तलत अजीज ने आरोप लगाया था कि उन्हें मारने की नीयत से गोली चलाई गई थी। तत्कालीन बीजेपी की सरकार ने सीबीसीआईडी को जांच सौंप दी। सीबीसीआईडी ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट दी। लेकिन ये साफ नहीं हो पाया कि गोली किस तरफ से चलाई गई। लेकिन तलत अजीज पक्ष का ये कहना था कि कुछ लोगों को बचाने के लिए जांच में लीपापोती की गई।
सीएम योगी पर सपा का वार
इससे पहले मुकदमे को फिर से खोलने वाली याचिका को मार्च 2018 में सबूतों की कमी के कारण सत्र न्यायालय ने खारिज कर दिया था। इसके बाद सपा नेता अजीज ने लखनऊ हाईकोर्ट में रिव्यू पेटिशन दाखिल की। जिसके बाद कोर्ट ने सत्र न्यायालय को केस में ट्रायल दोबारा शुरू करने को कहा।
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मामले में नया डेवलपमेंट यह है कि महाराजगंज के सत्र न्यायालय ने अब केस में आरोपी सीएम योगी आदित्य नाथ और अन्य लोगों को नोटिस भेजा है। मुख्यमंत्री मामले में जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है। वहीं समाजवादी पार्टी ने सीएम योगी के इस्तीफे की मांग की है। सपा ने कहा कि उन्हें सीएम बने रहने का अब कोई नैतिक अधिकार नहीं है।