मिसाल: Covid मरीजों के लिए मसीहा बनी ये IPS भाई-IAS बहन की जोड़ी, एक संक्रमितों का इलाज कर रहे तो दूसरी दूर कर रहीं ऑक्सीजन की किल्लत

कोरोना काल में फ्रंट लाइन के जवान इस समय मसीहा बनकर सामने आ रहे हैं। कहीं डॉक्टर्स तो कहीं पुलिस के जवान हर तरह से लोगों की मदद में लगे हैं। चाहे लोगों की जान बचानी हो या उन तक मदद पहुँचानी हो, फ्रंट लाइन कर्मचारी अपनी भूमिका बखूभी अदा कर रहे हैं। इन्हीं में शामिल एक आईएएस आईपीएस भाई बहन की जोड़ी इस समय चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल, जहां कानपुर में तैनात एक आईपीएस ने Covid अस्पताल की शुरुआत की है, वहीं दूसरी तरफ उनकी आईएएस बहन राजस्थान के उदयपुर में डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट अफसर हैं। वह भी कोरोना मरीजों का इलाज कर रही हैं। दोनों की सोशल मीडिया पर काफी सराहना की जा रही है।


आईपीएस ने की Covid अस्पताल की शुरुआत

जानकारी के मुताबिक, कानपुर में तैनात एडीसीपी अनिल कुमार इस समय Covid अस्पताल में डॉक्टर की भूमिका भी बखूभी निभा रहे हैं। दरअसल, उन्होंने जोधपुर के एसएन मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस करने के बाद कुछ दिनों तक दिल्ली के गुरु तेगबहादुर अस्पताल में प्रैक्टिस भी की है। आईपीएस अनिल ने दूसरी लहर आते ही कानपुर पुलिस लाइन में 16 बेड का एक एल-1 श्रेणी का हॉस्पिटल शुरू कर दिया। अनिल के अनुभव को देखते हुए पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने उन्हें कोरोना सेल का प्रभारी भी बनाया है।


इस अस्पताल की ओपीडी वो खुद अपनी ड्यूटी के बाद हरी रोज बैठते है। कुछ दिन पहले ही एडीजे की पत्नी बीमार पड़ गईं। उन्हें कहीं इलाज नहीं मिल रहा था। ऐसे में आईपीएस ने उन्हें अपने अस्पताल में भर्ती करके ठीक कर दिया। बड़ी बात ये है कि आईपीएस अनिल ने अस्पताल में अबतक 18 मरीजों को ठीक किया है और ओपीडी में 385 से ज्यादा संक्रमितों को इलाज दिया है। इस अस्पताल में सबसे ज्यादा पुलिस के जवान और उनके परिजन भर्ती होने आ रहे हैं। उन सबको आईपीएस पर काफी भरोसा है।


आईएएस ने दूर की ऑक्सीजन की किल्लत

इसके साथ ही दूसरी तरफ आईपीएस की डॉ. मंजू ने भी एमबीबीएस करने के बाद सिविल सेवा परीक्षा पास की। अभी राजस्थान कैडर की आईएएस अफसर हैं। डॉक्टर मंजू ने भी कोरोना काल के दौरान मरीजों की सेवा करने का फैसला लिया। फिलहाल मंजू को उदयपुर में डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट अफसर डॉ. मंजू ऑक्सीजन ऑडिट टीम की प्रभारी बनाया गया है। उन्होंने ऑक्सीजन की किल्लत को सिर्फ दूर नहीं किया, बल्कि जिले के एक सरकारी और 4 प्राइवेट अस्पताल में कोविड पेशेंट की देखरेख भी कर रही हैं।


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