राम मंदिर को लेकर मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर करके हिन्दू पक्षकारों को दी गयी जमीन राम जम्भूमि न्याय को देने की अर्जी लगाई है. सरकार का कहना है कि विवादित भूमि को छोड़कर बाकी जमीन लौटाई जाए. सरकार 2.77 जमीन पर राम मंदिर निर्माण का अधिकार माँगा है. सरकार ने हिन्दू पक्षकारों को दी गयी जमीन राम जम्भूमि न्याय को देने की अर्जी भी दी है.
बता दें कि अयोध्या में 0.313 एकड़ भूमि पर विवाद है. सरकार ने गैरविवादित जमीन लौटने के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई है. जिसे लेकर साधु-संतो में उत्साह देखा जा रहा है. लोकसभा चुनाव से पहले सरकार का यह कम उसे चुनावों में बड़ा फायदा पंहुचा सकता है.
गौरतलब है कि 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की सुनवाई होनी थी, लेकिन वह टल गई. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई पांच जजों की पीठ कर रही है. जिसमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस एस. ए. बोबडे और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ शामिल हैं.
कैसे हुआ था जमीन का बंटवारा?
आपको बता दें कि 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अयोध्या विवाद को लेकर फैसला सुनाया था. जस्टिस सुधीर अग्रवाल, जस्टिस एस यू खान और जस्टिस डी वी शर्मा की बेंच ने अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांट दिया था. जिस जमीन पर राम लला विराजमान हैं उसे हिंदू महासभा, दूसरे हिस्से को निर्मोही अखाड़े और तीसरे हिस्से को सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया गया था.
मोदी सरकार के इस कदम पर प्रयागराज कुम्भ में जुटे साधु-संतो ने ख़ुशी जताई है. गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर निर्माण का मुद्दा गर्माता जा रहा है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, शिवसेना द्वारा सरकार पर मंदिर निर्माण के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा है.
Also Read: कुंभ में CM योगी की कैबिनेट बैठक आज, राम मंदिर को लेकर हो सकता है बड़ा ऐलान
( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमेंफेसबुकपर ज्वॉइन करें, आप हमेंट्विटरपर भी फॉलो कर सकते हैं. )