कोरोना काल में भी जारी है एक्सप्रेसवे का निर्माण, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का 90 प्रतिशत से अधिक काम पूरा

कोरोना वायरस (Corona Virus) के चलते तेजी से भागती जिंदगी की रफ्तार पर ब्रेक लगा है. महामारी ने जनजीवन को बहुत प्रभावित किया है, हर चीज पर थोड़ा बहुत असर हुआ है. वहीं इसी बीच यूपी में एक्सप्रेसवे का निर्माण निरंतर जारी है. एक्सप्रेसवे के नियोजन एवं निर्माण के लिए उत्तरदायी एजेंसी उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEDA) ने बताया कि महामारी के बीच भी एक्सप्रेसवे परियोजनाओं पर कार्य जारी रहा है.


लखनऊ से गाजीपुर तक बन रहे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का मुख्य मार्ग बारिश के मौसम से पहले तैयार हो जाएगा. कोरोना काल व आंशिक कर्फ्यू के बावजूद एक्सप्रेसवे का काम इन दिनों तेजी से चल रहा है और अब तक 88 प्रतिशत से ज्यादा काम हो चुका है. माना जा रहा है कि जून के आखिरी हफ्ते तक पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के मुख्य मार्ग यातायात के पूरी तरह तैयार हो जाएगा. इससे सीधे गाजीपुर से लखनऊ पहुंचा जा सकेगा.


असल में कोरोना संक्रमण के पहले दौरे के मुकाबले इस बार यूपीईडा ने निर्माण कार्य जारी रखने के लिए पहले से तैयारियां कर ली थीं. इसलिए एक्सप्रेस के प्रोजेक्ट पैकेज प्रभारियों को मास्क, सैनेटाइजर व अन्य सामान खरीदने के लिए पहले से धन आवंटित कर दिया गया. श्रमिकों, कारीगरों व इंजीनियरो को संक्रमण से बचाने,उनकी जांच व उपचार की भी व्यवस्था की गई थी.


यूपीईडा एक अधिकारी के मुताबिक पिछले साल लॉकडाउन में एक्सप्रेस का काम जारी रखने में काफी मुश्किलें आईं थीं. उसके मुकाबले इस बार काम ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ. अलबत्ता कहीं-कहीं श्रमिकों की पर्याप्त उपलब्धता की मुश्किल सामने आई. इसके बावजूद पूर्वांचल एक्सप्रेस का निर्माण कार्य चल रहा है. यूपीईडा के सीईओ अवनीश अवस्थी (Awanish Awasthi) कोरोना कर्फ्यू में निर्माण कार्य की नियमित मॉनटिरिंग कर रहे हैं. निर्माण कार्य में किसी समस्या के समाधान के लिए भी निर्देश दिए गए हैं. खासतौर पर निर्माण सामग्री व मशीनों की आवाजाही सुनिश्चित की गई है. औद्योगिक विकास विभाग ने एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए जरूरी धनराशि समय से जारी कर दी है.


वहीं इस मामले पर जानकारी देते हुए यूपीईडा के सीईओ अवनीश अवस्थी ने बताया कि यूपीईडा वर्तमान में जिन परियोजनाओं पर कार्य कर रहा है, उनकी समयरेखा पर महामारी का कोई अधिक प्रभाव नहीं होगा. महामारी के कारण हमारी समयरेखाओं पर थोड़ा तो प्रभाव पड़ेगा लेकिन अधिक नहीं. ज़्यादा से ज़्यादा 15 दिन या महीने भर की देरी होगी. उन्होंने बताया कि वर्तमान में योगी आदित्यनाथ सरकार चार एक्सप्रेसवे परियोजनाओं पर कार्य कर रही है. इनमें से तीन- 340 किलोमीटर लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे , 296 किलोमीटर लंबा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और 91 किलोमीटर लंबा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे- वर्तमान में निर्माणाधीन हैं.


अवस्थी ने बताया कि जो चौथा एक्सप्रेसवे है, वह प्रदेश का सबसे लंबा होगा- 594 किलोमीटर लंबा गंगा एक्सप्रेसवे. इसके लिए राज्य सरकार वर्तमान में भूमि अधिग्रहण का कार्य कर रही है. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे प्रदेश के पूर्वी क्षेत्रों, जिनकी सीमा बिहार से लगी है, को लखनऊ से जोड़ता है. लखनऊ से जुड़ जाने के कारण आगरा-लखनऊ और यमुना एक्सप्रेसवे के माध्यम से प्रदेश का पूर्वी क्षेत्र राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) से भी स्वतः जुड़ जाता है. बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड क्षेत्र को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से जोड़ता है जिससे इस क्षेत्र की पहुँच भी एनसीआर तक हो जाती है.


यह एक्सप्रेसवे रक्षा गलियारे की सफलता के लिए महत्त्वपूर्ण है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस परियोजना को शुरू किया ताकि क्षेत्र में निवेश को आकर्षित किया जा सके. इसके लिए कुछ नोड प्रस्तावित हैं जैसे झाँसी और चित्रकूट जो बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित हैं. गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, जैसा नाम से ही समझ आता है, यह गोरखपुर को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जोड़ेगा. गोरखपुर से शुरू होकर यह एक्सप्रेसवे दो जिलों से गुज़रेगा- कबीर नगर और अंबेडकर नगर तथा आज़मगढ़ में जाकर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएगा.


अवनीश अवस्थी ने बताया कि गोरखपुर में ही गोरखनाथ पीठ का केंद्र हैं जहाँ के महंत अभी भी योगी आदित्यनाथ हैं. 1998 से 2017 तक वे संसद में लगातार पाँच बार गोरखपुर का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उन्होंने सांसद का पद त्यागा. 18 मई तक 6-लेन वाले पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका था. उनके अनुसार इस वर्ष जून में एक्सप्रेसवे के मुख्य मार्ग को ट्रैफिक के लिए खोल दिया जाएगा. वहीं, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य 58 प्रतिशत, तो गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का कार्य 22 प्रतिशत पूरा हुआ है.


यूपीईडा सीईओ ने बताया कि गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य महामारी के बीच भी जारी है और इस परियोजना के लिए आवश्यक 41 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है. आज हमने 25 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया. हम शीघ्र ही प्रतिदिन 50-60 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण के सामान्य स्तर पर लौट जाएँगे. हमने अब तक भूमि खरीद पर 2,900 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. पहले हम जुलाई-अगस्त तक काम शुरू करना चाहते थे लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण अंतर्राष्ट्रीय कंपनियाँ और समय की माँग कर रही हैं.


अवनीश अवस्थी ने बताया कि कंपनियाँ भौतिक रूप से स्वयं जाकर कार्यस्थल को देखने चाहती हैं जो महामारी के कारण संभव नहीं हो पा रहा है. अवस्थी को अपेक्षा है कि जुलाई या अगस्त तक बोलियाँ तैयार कर दी जाएँगी. गंगा एक्सप्रेसवे का प्रथम चरण 594 किलोमीटर लंबा होगा एवं मेरठ, हापुर, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूँ, शाहजहाँपुर, हरदोई, उन्नाव, राय बरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज जिलों से गुज़रेगा.


यूपीईडा के मीडिया सलाहकार दुर्गेश उपाध्याय ने बताया कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी अवनीश अवस्थी के नेतृत्व में काम लक्षित समय सीमा के भीतर पूरा हो जाएगा. कोरोना महामारी के बावजूद काम ठीक रफ्तार से चल रहा है. हम महामारी के दौरान पूरी तरह एहतियात बरत रहे हैं, 9 जिलों के मजिस्ट्रेट को परियोजना का शुरू करने से पहले सभी मजदूरों की चिकित्सीय जांच करने के लिए कहा गया है.


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