2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तर प्रदेश में आरक्षण के नए जातीय समीकरण बनाने की तैयारी चल रही है. यूपी में दलितों और पिछड़ों के आरक्षण में बंटवारे के लिए गठित सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट के आधार पर अब SC/ST और पिछड़ा वर्ग आरक्षण को बांटने की तैयारी चल रही है. समिति ने पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को 3 बराबर हिस्सों में बांटने की सिफारिश की है. इस फार्मूले पर अंतिम फैसला सीएम योगी को लेना है.
समिति ने इसके लिए तीन वर्ग.. पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा बनाने का प्रस्ताव किया है. पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग को 9.9 फ़ीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की गई है. इसके तहत 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को तीन बराबर-बराबर हिस्सों में बांटा जाएगा. SC/ST में भी दलित, अति दलित और महादलित श्रेणी बनाकर इसे भी तीन हिस्से में बांटने की सिफारिश की है. फिलहाल समिति की सिफारिश मुख्यमंत्री के पास है, जिस पर मंथन चल रहा है.
सूत्रों की मानें तो समिति ने SC/ST के 22 फीसदी आरक्षण को भी 3 हिस्सों में बांटने की सिफारिश की है. दलित, अति दलित और महादलित तीन श्रेणियां प्रस्तावित की गई हैं. 22 फीसदी आरक्षण को इन 3 वर्गों में 7, 7 और 8 के फार्मूले पर बांटने का प्रस्ताव है. दलित वर्ग में 4, अति दलित में 37 और महादलित में 46 जातियों को रखने की बात चल रही है.
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जानें क्या होगा असर
सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू होने पर यूपी में यादव, ग्वाल, सुनार, कुर्मी, ढड़होर सहित 12 जातियां पिछड़ा वर्ग के कुल 27 फीसदी आरक्षण में से एक तिहाई आरक्षण पर सिमट जाएंगी. माने कि अगर पिछड़ा वर्ग की 3 श्रेणियों में 27 पदों पर भर्ती होनी है तो पिछड़ा वर्ग में रखी गई 12 जातियों को कुल 9 पदों पर ही आरक्षण का लाभ मिलेगा.
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वहीं, आरक्षण के इस फार्मूले पर विपक्ष योगी सरकार पर हमलावर हो चुका है. विपक्ष ने इसे चुनावी स्टंट करार दिया है.
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