इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि “ब्रेस्ट पकड़ना, पाजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश करना… यह बलात्कार या बलात्कार के प्रयास का आरोप लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है।” अदालत ने अपराध की तैयारी और वास्तविक अपराध के प्रयास के बीच अंतर को स्पष्ट किया है।
कासगंज घटना पर अदालत का दृष्टिकोण
यह मामला कासगंज जिले का है, जहां दो आरोपियों, पवन और आकाश, पर एक नाबालिग लड़की से बलात्कार करने का प्रयास करने का आरोप था। पीड़िता को कुछ राहगीरों ने बचाया था, जिससे आरोपी मौके से भागने को मजबूर हो गए थे। घटना 2021 की है, जब आरोपियों ने पीड़िता को लिफ्ट देने के बहाने से उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश की थी।
हाईकोर्ट का हस्तक्षेप
आरोपियों ने निचली अदालत के समन को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उनके खिलाफ IPC की धारा 376 (बलात्कार) और POCSO अधिनियम की धारा 18 के तहत मामले दर्ज किए गए थे। आरोपियों का कहना था कि उनके खिलाफ गंभीर आरोप नहीं बनते हैं और यह सिर्फ IPC की धारा 354 और 354(B) (निर्वस्त्र करने का इरादा) के तहत मामला हो सकता है।
हाईकोर्ट का फैसला
17 मार्च, 2025 को जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने दिए गए अपने आदेश में कहा कि बलात्कार के प्रयास का आरोप साबित करने के लिए यह जरूरी है कि यह अपराध की तैयारी से आगे बढ़ चुका हो। अदालत ने कहा कि आकाश के खिलाफ आरोप यह हैं कि उसने पीड़िता को पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास किया और उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया। गवाहों ने यह नहीं कहा कि इसके कारण पीड़िता नग्न हुई या उसके कपड़े उतर गए।
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कोर्ट का निर्देश
कोर्ट ने निर्देश दिया कि आरोपी आकाश के खिलाफ IPC की धारा 354(B) और POCSO अधिनियम की धारा 9 और 10 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलाया जाए।यह निर्णय इस बात को भी स्पष्ट करता है कि बलात्कार के प्रयास के लिए केवल शारीरिक संपर्क और अप्रत्यक्ष कार्यवाही पर्याप्त नहीं हैं; इसके लिए आरोपियों के इरादे और वास्तविक प्रयास को साबित करना होगा।