वाराणसी: अफसरों के उत्पीड़न से तंग आकर हेड कांस्टेबल ने राष्ट्रपति से मांगी इच्छामृत्यृ, जातिगत भेदभाव का लगाया आरोप

यूपी पुलिस के सिपाहियों पर उत्पीड़न की खबरे आये दिन सामने आती रहती हैं. जिसकी वजह से अक्सर ही पुलिस विभाग के अफसरों पर सवाल उठते रहते हैं. ताजा मामला वाराणसी जिले का है, जहाँ तैनात एक हेड कांस्टेबल ने उत्पीड़न से तंग अकसर इच्छामृत्यु की मांग की है. दरअसल, हेडकांस्टेबल ने अपने शिकायती पत्र में अफसरों के ऊपर जातिगत भेदभाव करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि उनके सभी सीनियर अफसर ठाकुर हैं, जिस वजह से वो सब एक तरफ होकर उन्हें परेशान कर रहे हैं. इसी कारण स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होने के बावजूद अफसर उन्हें अवकाश नहीं दे रहे. हेड कांस्टेबल ने एसपी/एएसपी दोनों के सामने मेडिकल अवकाश स्वीकृत करने की याचना की दोनों अफसर यह कहकर अवकाश नहीं दिये कि मनोज कुमार से उच्चाधिकारीगण नाराज हैं. इन्हीं सबसे तंग आकर अब हेड कांस्टेबल ने राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु मांगी है.

ये है मामला

जानकारी के मुताबिक, हेड कांस्टेबल मनोज कुमार सरोज PNO.892380310 वाराणसी जिले में तैनात हैं. उन्होंने अपने शिकायत पत्र में बताया कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के बेलनोटिस का जवाब समय से नहीं भेजने के मामले में नियमों के विरुद्ध आरोपी अधिकारी से प्रारम्भिक जांच कराकर सह आरोपियों को अभियोजन गवाह बनाया गया. जिसके बाद पीड़ित हेड कांस्टेबल मनोज कुमार सरोज को ही विभीगीय दण्ड परिनिन्दा प्रविष्टि दे दी गई. जिसका सीओ स्तर की वेलनोटिस से कोई लेना देना नहीं था. इस दंड के विरूद्ध हेड कांस्टेबल ने आईजी रेंज/एडीजी ज़ोन वाराणसी के यहां अपील की , जिसे दोनों अफसरों ने ख़ारिज कर दिया उन्हें भी नहीं दिखा कि प्रारम्भिक जांच कर्ता ही मुख्य आरोपी है. इसके बाद हेड कांस्टेबल मनोज ने यूपी शासन में पुनः निरिक्षण अपील दाखिल की जिसे प्रक्रियाधीन कहकर दबवा दिया गया.

जब उन्हें लगने लगा कि यहयं न्याय नहीं मिलेगा तो हेड कांस्टेबल मनोज ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग उत्तर प्रदेश लखनऊ के यहां शिकायत की. जिस पर दो पत्र आईजी रेंज वाराणसी के यहां आयोग ने भेजें। हेड कांस्टेबल के सूचनाधिकार आवेदन के साथ दोनों पत्रों की छाया प्रति प्राप्त होने पर भी आईजी कार्यालय से आयोग का पत्र नहीं प्राप्त होना लिखकर मनोज को पकड़ा दिया गया. वर्ष2017से 2019तक मनोज न्याय की उम्मीद लगाए बैठे रहे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

अब हताश हेड कांस्टेबल मनोज ने पुलिस कर्मियों के फेसबुक ग्रुप पीड़ित खाकी टाइम लाइन पर माननीय राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग उत्तर प्रदेश लखनऊ के दोनो पत्रों की प्रति यह लिखकर पोस्ट कर दी. जिसका स्क्रीन शॉट लेकर आईजी रेंज वाराणसी ने डीजीपी मुख्यालय भिजवा दिया. एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशान्त कुमार सिंह ने उक्त आयोग के पत्र और आरक्षी के प्रार्थना पत्र के तथ्य पढ़ें होंगे, जिसमें उनके ही सजातीय अफसरों के असंवैधानिक कृत्यों पर मामूली दीवान द्वारा आवाज उठाना उनके जातिगत ईगो को उकसा गया. एडीजी लॉ एंड ऑर्डर ने सीधे एडीजी, आईजी, एसपी वाराणसी ग्रामीण को पत्र लिखा कि मनोज दीवान ने सोशल मीडिया पॉलिसी विभागीय आचरण नियमावली सरकार की नीतियों का उल्लघंन किया है. इसकी जाँच की जाए. जांच सीओ सदर ने की और विस्तार से हेड कांस्टेबल मनोज कुमार सरोज के कार्य आचरण की उत्कृष्टता के मद्देनजर सहानुभूति रखने की अनुशंषा भेजी। इसके बाद भी काफी दिनों बाद एसपी वाराणसी से कहकर बेड एंट्री दिलाकर हेड कांस्टेबल मनोज को प्रशासनिक आधार पर लाइन हाजिर करवा दिया गया.

राष्ट्रपति से मांगी इच्छामृत्यु

इस उत्पीड़न से पैदा तनाव में मनोज कुमार का दाहिने हाथ में हल्का पैरालिसिस के लक्षण पाए जाने पर डॉक्टर ने उन्हें एक माह कम्पलीट बेड रेस्ट की लिखित सलाह दी गई. जिसके चलते हेड कांस्टेबल ने पुलिस लाइन के लिए रवानगी के दौरान मेडिकल अवकाश के लिए एसपी/एएसपी दोनों के सामने मेडिकल अवकाश स्वीकृत करने की याचना की. दोनों अफसर यह कहकर अवकाश नहीं दिया क्योंकि मनोज कुमार से उच्चाधिकारी गण नाराज हैं. इन सभी से परेशान होकर और अत्यधिक तनाव एवं एडीजी कानून व्यवस्था के भय में मनोज द्वारा महामहिम राष्ट्रपति जी को इच्छा मृत्यु का आदेश मांगा गया है.

नोट- इस खबर में हेड कांस्टेबल द्वारा दिखाए गए सभी शिकायत पत्र संलग्न हैं

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