शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ोतरी पर हाईकोर्ट सख्त, यूपी सरकार को एक माह की मोहलत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ोतरी से जुड़े मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्धि के आदेश के अनुपालन में देरी पर नाराजगी जताई और यूपी सरकार को निर्णय लेने के लिए एक महीने का अतिरिक्त समय दिया है। कोर्ट ने यह निर्देश दिया कि अगली सुनवाई पर सरकार को इस संबंध में हलफनामा दाखिल करना होगा।

हाईकोर्ट के जस्टिस सलिल कुमार राय ने इस मामले में सुनवाई करते हुए आदेश दिया। यह आदेश वाराणसी के विवेकानंद द्वारा दायर अवमानना याचिका पर दिया गया। कोर्ट ने इस संबंध में अगली सुनवाई की तिथि 1 मई निर्धारित की है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि शिक्षामित्रों ने 2023 में समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग करते हुए याचिका दायर की थी।

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हाईकोर्ट ने अपने आदेश में शिक्षामित्रों को दिए जाने वाले न्यूनतम मानदेय को असंगत माना और कहा कि समान कार्य करने वालों को उचित वेतन मिलना चाहिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सृजित पदों पर वर्षों से कार्य कर रहे कर्मचारियों का वेतन बिना किसी ठोस आधार के रोका नहीं जा सकता।

30 वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों के वेतन पर रोक गलत
हाईकोर्ट ने एक अन्य मामले में कहा कि यदि कोई कर्मचारी 30 वर्षों से लगातार किसी पद पर कार्यरत है, तो उसे केवल सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति न होने के आधार पर वेतन से वंचित नहीं किया जा सकता। जस्टिस प्रकाश पाडिया की पीठ ने शफीक अहमद की वेतन रोक के खिलाफ दायर याचिका पर यह आदेश दिया।

इस फैसले से शिक्षामित्रों को राहत मिलने की उम्मीद है और सरकार पर उनके मानदेय बढ़ाने का दबाव बढ़ सकता है। अब देखना होगा कि 1 मई तक यूपी सरकार इस पर क्या निर्णय लेती है।