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लव जिहाद का शिकार हिंदू महिलाओं की घर वापसी कराए सरकार, हिंदू महासभा की मांग

लव जिहाद (Love Jihad) को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने शनिवार को बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार जल्द ही लव जिहाद पर कड़ा कानून बनाने जा रही है. इसके अलावा सीएम ने लव जिहादियों को चेतावनी भी कि अगर यह सब बंद नहीं किया तो राम नाम सत्य की यात्रा के लिए तैयार रहें. वहीं इसी बीच हिंदू महासभा (All India Hindu Mahasabha) ने सरकार से मांग की है कि लव जिहाद पीड़ित महिलाओं की घर वापसी कराई जाए.


अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित अशोक शर्मा (Pandit Ashok Sharma) ने कि सरकार लव जिहाद की शिकार हुई लड़कियों को अपने धर्म में वापस लाने की मांग की. पंडित अशोक शर्मा ने कहा कि लव जिहाद के खिलाफ सरकार को पहले ही कड़े कदम उठाना चाहिए था. इसलिए हाईकोर्ट को एक्शन लेना पड़ा. हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित अशोक शर्मा कहते हैं कि हाईकोर्ट के इस फैसले से गैर समुदाय में शादी करने पर जबरन धर्म परिवर्तन से राहत मिलेगी.


क्या कहा सीएम योगी ने ?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कल (शुक्रवार) इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक आदेश दिया है कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन को मान्यता नहीं मिलनी चाहिए. इस वजह से सरकार भी निर्णय ले रही है कि हम लव जिहाद को सख्ती से रोकने का काम करेंगे. एक प्रभावी कानून बनाएंगे.


राम नाम सत्य की यात्रा निकलेगी

सीएम योगी ने कहा कि छद्म भेष में, नाम छिपाकर जो लोग बेटियों की इज्जत के साथ खिलवाड़ करते हैं, उन्हें मैं चेतावनी देता हूं कि उनकी राम-नाम सत्य की यात्रा निकलने वाली है. हम लोग मिशन शक्ति के कार्यक्रम को इसीलिए चला रहे हैं. मिशन शक्ति के कार्यक्रम का मतलब यही है कि हम हर मां-बहन को सुरक्षा की गारंटी देंगे. फिर भी दुस्साहस किया तो ऑपरेशन शक्ति अब तैयार है. इसका उद्देश्य यही है कि हम हर हाल में उनकी सुरक्षा करेंगे. उनके सम्मान की सुरक्षा करेंगे. न्यायालय के आदेश का पालन होगा और बहन-बेटियों का सम्मान होगा.


क्या कहा हाई कोर्ट ने ?

शनिवार को धर्मांतरण (Conversion) को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि महज शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना किसी भी तरीके से जायज नहीं है. हाईकोर्ट ने विपरीत धर्म के जोड़े की याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं को संबंधित मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराने की छूट दी है. याची ने परिवार वालों को उनके शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करने पर रोक लगाने की मांग की थी. कोर्ट ने विवाहित जोड़े की याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.


शादी के धर्म परिवर्तन स्वीकार्य नहीं

मुजफ्फरनगर की रहने वाली प्रियांशी उर्फ समरीन ने 29 जून, 2020 को हिंदू धर्म स्वीकार किया था. धर्म परिवर्तन करने के बाद उसने 31 जुलाई को एक हिंदू लड़के से विवाह कर लिया. परिवार वाले उनके वैवाहिक जीवन में लगातार दखल दे रहे थे. इसको लेकर दंपति ने याचिका दायर कर कोर्ट से दखल देने की अपील की थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड से ये साफ है कि सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन किया गया है.


नूरजहां केस का दिया हवाला

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नूरजहां बेगम केस के फैसले का हवाला दिया. इसमें कोर्ट ने कहा है कि शादी के लिए धर्म बदलना स्वीकार्य नहीं है. इस केस में हिंदू लड़कियों ने धर्म बदलकर मुस्लिम लड़के से शादी की थी. सवाल था कि क्या हिंदू लड़की धर्म बदलकर मुस्लिम लड़के से शादी कर सकती है. और क्या ऐसी शादी वैध मानी जाएगी. इस पर कोर्ट ने कहा था कि बिना किसी धर्म को जाने और बिना आस्था, विश्वास के धर्म बदलना वैध नहीं है.


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