सामुदायिक सौहार्द की मिशाल, मुस्लिम बहन को हिन्दू भाइयों ने बिठाया डोली में

मजहब के नाम पर देश में फैली कड़वाहट के बीच जयपुर (Jaipur) से साम्प्रदायिक सौहार्द की ऐसी मिशाल सामने आ रही है जो हर रोज मर रही मानवता के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है. यहाँ के कुछ हिन्दू युवाओं ने मुस्लिम परिवार की बेटी में हो रही आर्थिक दिक्कतों को दूर कर उसे उसकी ससुराल रुखसत किया. मुश्किल घड़ी में फरिश्ते बनकर आए इन युवाओं के लिए दुल्हन और उसके परिजन दुआएं देते नहीं थक रहे हैं.


दरअसल, जयपुर की तंगहाल गलियों में महज एक कमरे में तंगी में गुजारा करने वाला अब्दुल रऊफ का परिवार शनिवार शाम तक परेशान और दर-दर भटक रहा था. शनिवार को रऊफ की बेटी का निकाह था और आर्थिक तंगी के चलते जरूरी इंतजाम तक भी नहीं हो पा रहे थे. परिवारवाले अल्लाह से दुवाएं मांग रहे थे.


परिवार में लड़की के पिता अब्दुल रऊफ ही एक मात्र ऐसे शख्स हैं जो नगर निगम में ठेकेदारी पर चौकीदारी करके परिवार का जैसे-तैसे गुजर बसर करते हैं. बिटिया की शादी के लिए कुछ लोगों से उधार मांगा था. लोगों ने मदद का वादा भी किया, लेकिन आज जब शादी का वक्त आया तो मददगार अपने वादे से पलट गए.


ऐसे में जब बारात बिल्कुल चौखट पर आने को थी और कोई इंतजाम नहीं था. लेकिन पड़ोस से किसी ने शहर के ही समाजसेवी पंकज शर्मा को इस बात की जानकारी दी. इस पर पंकज ने अपने दोस्तों के साथ मदद के लिए आगे आए.


पंकज शर्मा और उनके दोस्तों ने शादी से महज चार घंटे पहले कम पड़ रहे सभी जरूरी सामान खरीदेे और बारात के स्वागत तथा खाने के लिए सभी जरूरी इंतजाम कर डाले. उन्होंने निकाह में में देने के लिए जरूरी सामान की खरीदारी की और खाने-पीने की व्यवस्था की. एकाएक यह सब होते देखकर अब्दुल रऊफ और उनके परिजनों ने राहत की सांस ली.


वहीं पंकज शर्मा ने कहा, “बस ईश्वर को यह काम करवाना था. सभी लोगों को भी ये सोचना चाहिए कि इंसानियत से बढ़कर कोई मज़हब नहीं होता है”.


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