केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने 1,000 साल तक अपनी संस्कृति, भाषा और धर्म के लिए लड़ाई लड़ी जो व्यर्थ नहीं गई और इस लड़ाई के दौरान कुर्बानियां देने वालों की आत्मा को आज भारत का पुनरुत्थान देखकर शांति मिलती होगी. शाह ने यहां ‘महाराणा: सहस्र वर्षों का धर्मयुद्ध’ पुस्तक (Maharana: Sahastra Varsha Ka Dharma Yuddha) का विमोचन करने के बाद अपने संबोधन में यह बात कही. इस किताब को ईएनटी स्पेशलिस्ट सर्जन ओमेंद्र रत्नू (Omendra Ratnu) ने लिखा है. इस अवसर पर उन्होंने मौजूदा लेखकों व इतिहासकारों का आह्वान किया कि वे इतिहास पर टीका -टिप्पणी छोड़कर देश के गौरवशाली इतिहास को संदर्भ ग्रंथ के रूप में जनता के सामने रखें.
उन्होंने कहा, “जब हमारा प्रयास किसी से बड़ा होता है तो अपने आप झूठ का प्रयास छोटा हो जाता है. हमें प्रयास बड़ा करने पर ध्यान देना चाहिए. झूठ पर टीका-टिप्पणी करने से भी झूठ प्रचारित होता है. हमें कोई नहीं रोकता है, हमारा इतिहास लिखने से. अब हम स्वाधीन हैं. किसी के मोहताज नहीं हैं. हम हमारा इतिहास खुद लिख सकते हैं.” शाह ने कहा कि किसी भी समाज को अपना उज्ज्वल भविष्य बनाना हो तो उसे अपने इतिहास से प्रेरणा लेनी चाहिए, उससे सीख लेनी चाहिए और अपने इतिहास से सीखकर अपना आगे का रास्ता प्रशस्त करना चाहिए.
कई साम्राज्यों के गौरवशाली इतिहसा की अनदेखी की गई
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कि भारत के अधिकांश इतिहासकारों ने पांड्य, चोल, मौर्य, गुप्त और अहोम जैसे कई साम्राज्यों के गौरवशाली नियमों की अनदेखी की गई. इतिहासकारों ने केवल मुगलों के इतिहास को प्रमुखता से दर्ज कराया. उन्होंने यह भी कहा कि एक हजार वर्षों की संस्कृति, भाषा और धर्म की रक्षा के लिए लड़ी गई. यह लड़ाई व्यर्थ नहीं है. अब भारत फिर से दुनिया के सामने सम्मान के साथ खड़ा है.
इतिहासकरों ने केवल मुगलों पर किया ध्यान केंद्रित
गृह मंत्री ने कहा कि वे इतिहासकारों को कुछ बताना चाहते हैं. हमारे पास कई साम्राज्य हैं लेकिन इतिहासकारों ने केवल मुगलों पर ध्यान केंद्रित किया. भारत के इतिहास में उन्हें प्रमुखता दी गई. उन्होंने कहा कि इन साम्राज्यों पर संदर्भ पुस्तकें लिखी जानी चाहिए. अगर ऐसा हुआ तो जिस इतिहास को हम गलत मानते हैं वह धीरे-धीरे मिट जाएगा और सच सामने आएगा.
मौर्य साम्राज्य 550 साल तक, तो गुप्त साम्राज्य 400 साल तक चला
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि मौर्यों ने अफगानिस्तान से लंका तक 550 वर्षों तक शासन किया. सातवाहनों ने 500 वर्षों तक शासन किया. गुप्तों ने 400 वर्षों तक शासन किया, समुद्रगुप्त ने पहली बार देश के लिए संयुक्त भारत की कल्पना की और एक साम्राज्य की स्थापना की. इसके बावजूद भारत के इतिहास में उन्हें वो स्थान नहीं मिला जो मिलना था.
बाजीराव पेशवा ने अटक से कटक तक भगवा फहराया
उन्होंने कहा, “हमें टीका-टिप्पणी छोड़कर हमारे गौरवशाली इतिहास को जनता के सामने रखना चाहिए. संदर्भ ग्रंथों की रचना करनी चाहिए. धीरे-धीरे…जो इतिहास हम मानते हैं गलत है, वह अपने आप निकल जाएगा. सत्य फिर से उजागर हो जाएगा.” शाह ने इस दिशा में अनेक लोगों के प्रयास करने की जरूरत पर बल दिया और कहा कि यह पुस्तक एक शुरुआत है. उन्होंने कहा कि बाजीराव पेशवा ने अटक से कटक तक भगवा फहराने का काम किया था लेकिन इस प्रकार के कई ऐसे व्यक्तित्व रहे हैं जिनके जीवन को भी न्याय नहीं मिला.
वीर सावरकर नहीं होते तो 1857 का सत्य छिपा रह जाता
गृह मंत्री ने कहा, “हमें इस दिशा में भी काम करना चाहिए. हमारे साम्राज्यों के बारे में काम करना चाहिए.” शाह ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर नहीं होते तो 1857 का सत्य छिपा रह जाता. उन्होंने कहा, “इतिहास को फौरी तौर पर देखने वाले देखते हैं कि इस युद्ध में कौन जीता कौन हारा. मगर उनको मालूम नहीं कि हारकर भी विजेता होने वाले लोगों के इतिहास से ही यह देश बना है. हार गए, मगर विजेता बने. सालों-साल लड़ाइयां लड़ीं. 1857 की क्रांति के बारे में भी हम कह सकते हैं कि हम हार गए थे. परंतु उनको मालूम नहीं कि उस क्रांति ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था.”
दुनिया के सामने खड़े होने का अवसर आ गया है
शाह ने कहा, “हार और जीत के कारण इतिहास नहीं लिखा जाता, बल्कि वह घटना देश व समाज पर क्या परिणाम छोड़ती है, उससे इतिहास बनता है.” उन्होंने कहा कि आज भारत का पुनरुत्थान देखकर देश के लिए लड़ाई लड़ने वाले और कुर्बानी देने वालों की आत्मा को शांति मिलती होगी. शाह ने कहा, “फिर से गौरव के साथ दुनिया के सामने खड़े होने का अवसर आ गया है… देश खड़ा हो रहा है. यह सरकारों से नहीं होता है. समाज जीवन में जब जागृति की चिंगारी फैलती है, वह आग में बदलती है तभी जाकर परिवर्तन आता है. तभी समाज का गौरव जागरूक होता है.” उन्होंने कहा, “सालों बाद हमारी संस्कृति को दुनिया भर में स्वीकृति मिली है. इस प्रकार की स्थिति हम देख रहे हैं. सालों के बाद समग्र दुनिया में देश का गौरव बढ़ता हुआ हम देख रहे हैं.”