इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) सॉफ्ट सिग्नल (Soft Signal) को खत्म करने जा रही है। यानी कि अब थर्ड अंपायर ही तय करेगा कि कैच सही है या नहीं। इसकी शुरुआत भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 7 जून से इंग्लैंड के ओवल क्रिकेट ग्राउंड पर होने वाले वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) फाइनल से होगी।
क्या है सॉफ्ट सिग्नल
दरअसल, मैच के दौरान ग्राउंड अंपायर अगर कोई कैच थर्ड अंपायर के पास रेफर करता था तो उसे सॉफ्ट सिग्नल के जरिए यह बताना होता था कि उसकी अपनी राय क्या है। यानी ग्राउंड अंपायर भले ही कैच को लेकर कन्फ्यूज रहता हो, लेकिन उसे थर्ड अंपायर को यह बताना होता था कि उसकी नजर में डिसीजन आउट है या नॉट आउट।
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वहीं, ग्राउंड अंपायर ने सॉफ्ट सिग्नल में जो कहा है, उसे थर्ड अंपायर तब तक नहीं बदल सकता, जब तक उसके पास इसके लिए निर्णय करने लायक सबूत न हो। यानी अगर थर्ड अंपायर भी श्योर नहीं है कि कैच क्लीन है या नहीं तो इस स्थिति में ग्राउंड अंपायर के सॉफ्ट सिग्नल को ही फाइनल डिसीजन मान लिया जाता था।
सौरव गांगुली की अध्यता वाली कमेटी ने दिया था सुझाव
बता दें कि सॉफ्ट सिग्नल हमेशा से क्रिकेट विशेषज्ञों के बीच चर्चा का विषय रहा है। सौरव गांगुली की अध्यक्षता वाली आईसीसी क्रिकेट कमेटी ने इसे खत्म करने का सुझाव दिया था। अब आईसीसी ने क्रिकेट कमेटी के सुझाव को अमल में लाते हुए सॉफ्ट सिग्नल को खत्म कर दिया है।
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अब फील्ड अंपायर कैच का रिव्यू लेने के लिए अगर थर्ड अंपायर के पास रेफर करता है तो वह अपना सुझाव नहीं देगा। अब थर्ड अंपायर तकनीक के आधार पर रिव्यू कर खुद फैसला सुनाएगा और थर्ड अंपायर के फैसले को ही सही माना जाएगा।
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