‘एक वोटर के लिए बूथ बन सकता है तो 40 बच्चों के लिए स्कूल क्यों नहीं…’, अखिलेश यादव का योगी सरकार पर हमला

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) के स्कूल विलय फैसले पर गंभीर आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने की साजिश करार दिया। उनका कहना है कि यदि एक मतदाता के लिए बूथ बनाया जा सकता है, तो फिर 30-40 बच्चों के लिए स्कूल क्यों नहीं चलाया जा सकता?

भाजपा की मंशा पर सवाल

अखिलेश यादव ने एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि शिक्षा किसी भी समाज के विकास की सबसे बड़ी कसौटी होती है। लेकिन भाजपा सरकार जानबूझकर शिक्षा और शिक्षकों की नज़रअंदाज़ कर रही है। उनका आरोप है कि भाजपा एक रणनीति के तहत आने वाली पीढ़ियों से शिक्षा का अधिकार छीनना चाहती है ताकि उन्हें नियंत्रित किया जा सके।

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शिक्षा से डरती है भाजपा: अखिलेश

सपा प्रमुख ने दावा किया कि शिक्षित व्यक्ति सत्ता से सवाल करता है और उत्पीड़न के खिलाफ खड़ा होता है, जो भाजपा को पसंद नहीं। उन्होंने कहा, शिक्षा से चेतना आती है और यही चेतना भाजपा के प्रभुत्व को चुनौती देती है। इसलिए भाजपा चाहती है कि स्कूल ही न हों, ताकि विरोध करने वाली जागरूकता पनप न सके।

निजी संस्थाओं को लाभ पहुंचाने की कोशिश?

अखिलेश ने यह भी आरोप लगाया कि सरकारी स्कूलों को बंद करके भाजपा समर्थित निजी संस्थाओं के लिए रास्ता तैयार किया जा रहा है। ये संस्थाएं ‘सेवा’ के नाम पर गांवों में स्कूल खोलेंगी और वहां अपनी वैचारिक सोच थोपने की कोशिश करेंगी। उन्होंने इसे दरारवादी सोच के बीज बोने की नीति बताया।

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सरकार का पक्ष

वहीं, राज्य सरकार का तर्क है कि यह कदम शैक्षिक संसाधनों के कुशल उपयोग के लिए उठाया गया है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, कम नामांकन, शिक्षकों की भारी कमी और संसाधनों की पुनरावृत्ति से जूझ रहे स्कूलों को पास के बड़े संस्थानों में मिलाकर शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाई जाएगी। लेकिन इस फैसले से गांवों के बच्चे कितने लाभान्वित होंगे या शिक्षा से और दूर हो जाएंगे, यह आने वाला समय बताएगा।

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