उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने बुधवार को कहा कि अयोध्या में बने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर को देखकर गर्व महसूस न करने वाला व्यक्ति अपनी भारतीयता पर स्वयं प्रश्न खड़ा करता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का जीवंत उदाहरण है।
गोरखनाथ मंदिर में श्रद्धांजलि समारोह
मुख्यमंत्री गोरखनाथ मंदिर परिसर में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में बोल रहे थे। यह आयोजन महंत दिग्विजयनाथ की 56वीं और महंत अवैद्यनाथ की 11वीं पुण्यतिथि के अवसर पर किया गया। योगी ने कहा कि इन दोनों संतों का जीवन राष्ट्र और धर्म की सेवा को समर्पित रहा है।
दिग्विजयनाथ और अवैद्यनाथ का संकल्प साकार
योगी आदित्यनाथ ने याद दिलाया कि महंत दिग्विजयनाथ ने गुलामी के प्रतीकों को हटाने और अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का संकल्प लिया था। बाद में महंत अवैद्यनाथ ने इस अभियान को आगे बढ़ाया और आज उनकी दोनों की इच्छाएं साकार हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि राम मंदिर इन संतों के संघर्ष और तपस्या का परिणाम है।
संस्कृत श्लोक का उल्लेख
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने एक संस्कृत श्लोक उद्धृत करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में क्षमता होती है, बस आवश्यकता सही मार्गदर्शन की होती है। उन्होंने दोनों महंतों को समाज और राष्ट्र को दिशा देने वाला बताया, जिन्होंने अपने जीवन को पूर्णतः धर्म और देश सेवा को अर्पित कर दिया।
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सच्चे संत का परिचय समाज और राष्ट्र से
योगी ने कहा कि सच्चा संत अपने लिए नहीं जीता, बल्कि समाज को परिवार और राष्ट्र को अपना कुल मानकर जीवन व्यतीत करता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि राम मंदिर केवल एक मंदिर नहीं बल्कि भारत की संस्कृति, आस्था और संकल्प शक्ति का प्रतीक है।