जहां भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप में इंसान के साथ जानवर तक छांव की तलाश में रहते है. ऐसे हालातों में एक व्यक्ति ऐसा है जो कड़ी धूप में खड़े होकर अपनी ड्यूटी करता है. यह है शहर की पुलिस, जिसके लिए भीषण गर्मी कोई मायने नहीं रखती है. पारा चाहे कितना भी ऊपर चला जाए लेकिन पुलिसकर्मियों की फोर्स प्रतिदिन अपनी ड्यूटी देती है. बता दें कि यह धूप अब पुलिस के लिए जानलेवा साबित हो रही है. वहीं, अधिकारियों की तरफ से पुलिसकर्मियों को कोई रियायत एवं सुरक्षा के इंतजाम नहीं किये जा रहे हैं.
शहर की यातायात व्यवस्था को संभालने के लिए प्रतिदिन यातायात थाने से करीब बहुत से पुलिसकर्मियों की फोर्स निकलती है. जो लगभग सभी चौराहों में आवश्यकतानुसार तैनात की जाती है, इनकी ड्यूटी भी सुबह से रात तक की होती है. उत्तर प्रदेश के लगभग कई जिलों में ऐसे बड़े चौराहे होते है जिनमें पुलिसकर्मी तैनात होते हैं. जिनको दोपहर 42 डिग्री तापमान में भी खड़े होकर ड्यूटी करनी पड़ती है. सबसे ज्यादा दिक्कत तो फ्लाईओवर के दोनों ओर ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों को होती है, जहां पर छांव की कोई व्यवस्था नहीं है.
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शहर के बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, बड़े चौराहों, भीड़ भरे तिराहे और चौक जैसी बाजारों सहित अन्य स्थानों में भी पुलिसकर्मियों को ड्यूटी करनी पड़ती है. पुलिसकर्मियों को कड़ी धूप और लू के गर्म थपेड़ों से जूझना ही पड़ता है. इससे बचाव के लिए उनको न तो ड्यूटी में रियायत रहती है और न ही उनको किसी तरह के संसाधन उपलब्ध करवाये जाते है. यही कारण है कि भीषण गर्मी में ड्यूटी पुलिसकर्मियों को बीमार बना रही है. अप्रैल के महीने में ही भीषण गर्मी अपना रौद्र रूप दिखा रही है. ऐसे में आने वाले महीनों में पुलिसकर्मियों को इससे भी तेज धूप में ड्यूटी करनी पड़ सकती है.
फील्ड में तैनात यातायात पुलिसकर्मियों के सामने गंभीर समस्या रहती है. एक तरफ तो सड़कों पर लगने वाले जाम की चिंता रहती है तो दूसरी ओर अधिकारियों का डर उनको सताता रहता है. यदि किसी पुलिसकर्मी को अधिकारी ने छांव मेें खड़े देखा लिया तो वहां पर रहम की कोई गुंजाईश नहीं होती है. पुलिस अधिकारियों को मानवता के दृष्टि से भी इनके लिए सोचना पड़ेगा.
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पिछले महीने एक पुलिसकर्मी के पैरों की नस फट गई थी. उनकी ड्यूटी एक बिल्डिंग के नो-पार्किंग में खड़े वाहनों को हटवाने के लिए लगाई थी. दिनभर उन्होंने धूप में खड़े होकर ड्यूटी की. पैरों में अत्यधिक दबाव पड़ने की वजह से उनकी नस फट गई थी और उनके पैरों से खून निकलने लगा था. बाद में उन्हें उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया था.
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फील्ड में काम करने वाले पुलिसकर्मियों का दर्द एसी में घूमने वाले अधिकारी नहीं समझ पाते है. उनको 42 डिग्री तापमान में खड़े होकर ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों के दर्द का एहसास नहीं है. यही कारण है कि ड्यूटी का हुक्म तो दे दिया, लेकिन गर्मी से उनको बचाने के लिए अभी तक कोई व्यवस्था अधिकारियों के द्वारा नहीं की गई है.
इस संबंध में एक बड़े अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि लगातार खड़े रहने से पैरों पर दबाव पड़ता है और इससे नसें टेढी हो जाती है. ऐसे में उनके फटने की संभावना बढ़ जाती है. ज्यादातर पुलिसकर्मियों को यह समस्या होती है क्योंकि उनको काफी समय खड़े रहना पड़ता है. इससे बचने के लिए पुलिसकर्मी लगातार खड़े रहने से बचे और बीच-बीच में बैठकर थोड़ी-थोड़ी देर में आराम जरूर करें. अपने पैरों को हल्के हाथ से सहला दें, जिससे खून का बहाव निरंतर बना रहे.
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वैसे तो पुलिस की ड्यूटी ही हर मौसम में 24*7 काम करने की होती है. स्टॉफ को धूप से बचाने के लिए बीच-बीच में ड्यूटी बदल दी जाती है. यदि धूप की वजह से किसी स्टॉफ की तबियत खराब होती है तो उनकी ड्यूटी अन्य स्थान पर लगा दी जाती है. लू से बचने की हिदायत भी स्टॉफ को दी जा रही है. ड्यूटी में भोजन करके निकले और पानी अनिवार्य रूप से पीते रहे.
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