Hindi vs Marathi: महाराष्ट्र (Maharastra) में भाषा आधारित टकराव (Language Dispute) ने एक बार फिर उग्र रूप ले लिया है। हाल ही में एक हिंदी भाषी प्रवासी दुकानदार की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) कार्यकर्ताओं द्वारा पिटाई की घटना ने राज्य में हलचल मचा दी। इस घटना ने न केवल राज्य बल्कि पूरे देश में बहस को जन्म दे दिया है। ठाकरे बंधुओं की एकता और इस मुद्दे पर राजनीतिक सक्रियता ने मामले को और पेचीदा बना दिया है।
निशिकांत दुबे का तीखा हमला
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर मराठी में पोस्ट करते हुए सवाल उठाया कि केवल हिंदी भाषियों को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है। दुबे ने लिखा, ‘मुंबई में हिंदी बोलने वालों को पीटने वालों, अगर हिम्मत है तो उर्दू बोलने वालों को भी पीटकर दिखाओ। कुत्ता भी अपने घर में शेर होता है।’ उनके इस बयान ने विवाद को और हवा दे दी है और विपक्षी दलों ने इसे भड़काऊ बताया है।
Also Read- ‘योगी आदित्यनाथ के लिए दिल्ली में जगह नहीं…’, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे का बड़ा बयान
कश्मीर से तुलना ने बढ़ाई संवेदनशीलता
दुबे यहीं नहीं रुके। उन्होंने महाराष्ट्र की भाषा राजनीति की तुलना कश्मीरी पंडितों के पलायन से करते हुए कहा कि जैसे कश्मीर में हिंदुओं को धर्म के आधार पर भगाया गया, वैसे ही अब महाराष्ट्र में हिंदी भाषियों को भाषा के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा है। उनके अनुसार, उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे और एनसीपी प्रमुख पवार का रवैया दाऊद इब्राहिम और आतंकियों से अलग नहीं है।
बीजेपी के मंत्री ने भी उठाए सवाल
महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और भाजपा नेता आशीष शेलार ने भी इस मुद्दे को गंभीर बताया। उन्होंने कहा कि जिस तरह पहलगाम में धर्म के आधार पर लोगों को मारा गया, उसी तरह महाराष्ट्र में भाषा के आधार पर लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। शेलार का कहना है कि एक लोकतांत्रिक राज्य में इस तरह की मानसिकता खतरनाक है और इससे समाज में गहरा विभाजन हो सकता है।
थर्ड लैंग्वेज पॉलिसी बना विवाद का केंद्र
यह पूरा विवाद तब और गहराया जब फडणवीस सरकार ने ‘थर्ड लैंग्वेज पॉलिसी’ लागू करने की घोषणा की। मनसे और शिवसेना (यूबीटी) ने इस पॉलिसी का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि यह मराठी भाषियों पर हिंदी थोपने की कोशिश है। बढ़ते विरोध के चलते सरकार को पॉलिसी वापस लेनी पड़ी, लेकिन इससे ठाकरे बंधु एक बार फिर नजदीक आ गए। वहीं, इस मुद्दे पर अभिनेत्री जया बच्चन का पुराना बयान ‘हम यूपी के लोग हैं’ भी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है, जो इस विवाद को एक नई दिशा देता नजर आ रहा है।