गोरखपुर में एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने परिवार और समाज को झकझोर दिया। जौनपुर जिले के वृद्धाश्रम में रह रही 65 वर्षीय शोभा देवी की मौत के बाद उनके बड़े बेटे ने शव लेने से इनकार कर दिया। बेटे का कहना था कि घर में शादी की तैयारियाँ चल रही हैं और इस समय लाश आने से अपशगुन हो सकता है। उन्होंने शव को चार दिन के लिए डीप फ्रीजर में रखने की सलाह दी और शादी के बाद ही अंतिम संस्कार करने की बात कही।
पिता की पीड़ा और मजबूरी
बेटों की इस जिद को सुनकर 68 वर्षीय भुआल गुप्ता का हृदय टूट गया। अपने जीवन साथी की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए उन्हें जौनपुर से गोरखपुर लाना पड़ा। पिता ने रिश्तेदारों के सहयोग से उन्हें नदी के घाट पर दफनाया। इस कठिन अनुभव ने भुआल गुप्ता को मानसिक और भावनात्मक रूप से पूरी तरह तोड़ दिया।
परिवार से निकाले गए बुजुर्ग
भुआल गुप्ता और उनकी पत्नी शोभा देवी को पिछले एक वर्ष पहले ही उनके बेटों ने घर से निकाल दिया था। तब से दोनों जौनपुर जिले के कृषक विकास समिति वृद्धाश्रम में रह रहे थे। वृद्धाश्रम में बिताए गए इस एक साल के दौरान दोनों ने कई कठिनाइयों का सामना किया। इस पूरे मामले ने बुजुर्गों के अधिकारों और बेटों की जिम्मेदारी पर सवाल खड़ा कर दिया है।
सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया
पत्नी की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए पति शव को उनके गाँव ले गए। गाँव के रिश्तेदारों ने उसे घाट किनारे दफना दिया।पति ने रोते हुए कहा कि बेटे और अन्य रिश्तेदारों ने कहा है कि चार दिन बाद शव को मिट्टी से निकालकर अंतिम संस्कार कर देंगे।शोभा देवी के अंतिम संस्कार से जुड़ा वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। लोगों ने बेटे के व्यवहार की कड़ी निंदा की और इस घटना को परिवारिक जिम्मेदारी और मानवीय संवेदनाओं के उल्लंघन के रूप में देखा। इस घटना ने समाज में बुजुर्गों के प्रति बच्चों के दायित्व और उनके अधिकारों पर गंभीर बहस छेड़ दी है।
Input- मुकेश कुमार



















































