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भारतीय सेना में महिला और पुरुष फिजिकल टेस्ट पैरामीटर: क्या अंतर घट सकता है?

NEW DELHI:भारतीय सेना में महिला और पुरुष अधिकारियों के फिजिकल टेस्ट पैरामीटर को लेकर आंतरिक स्तर पर चर्चाएं चल रही हैं। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा था कि सेना को मजबूत महिला अधिकारी चाहिए, जो काली माता के स्वरूप जैसी हों। उन्होंने यह भी कहा कि महिला और पुरुष अधिकारियों के फिजिकल टेस्ट पैरामीटर करीब-करीब समान होने चाहिए, हालांकि शारीरिक क्षमता को ध्यान में रखते हुए कुछ अपवाद हो सकते हैं।

एनडीए में महिलाओं की ट्रेनिंग और चुनौतियाँ

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2022 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) में महिलाओं की एंट्री हुई। हर छह महीने में 19-20 लड़कियाँ NDA का हिस्सा बन रही हैं। शुरुआत में लड़कियों की अलग स्क्वॉड्रन बनाई गई थी, लेकिन जनवरी 2024 से उन्हें पुरुष कैडेट्स के साथ विभिन्न स्क्वॉड्रनों में शामिल कर दिया गया है।

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एनडीए में लड़कियाँ और लड़के समान ट्रेनिंग से गुजर रहे हैं। कैंप प्रतियोगिताओं और क्रॉस-कंट्री दौड़ में भी लड़कियाँ लड़कों के साथ हिस्सा ले रही हैं, और अब तक किसी भी महिला कैडेट ने ड्रॉप आउट नहीं किया है। हालांकि, एक मेडिकल स्टडी में पाया गया कि लड़कियों में स्ट्रेस फ्रैक्चर के मामले अधिक हो रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उन्हें विशेष देखभाल और क्रमिक ट्रेनिंग की जरूरत है।

ओटीए में अब भी अलग-अलग पैरामीटर

ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) में पुरुष और महिला कैडेट्स के लिए शारीरिक परीक्षा के मापदंड अभी भी अलग हैं,2.4 किलोमीटर दौड़: पुरुष – 9 मिनट, महिला – 11 मिनट,BPET (बैटल फिजिकल एफिशिएंसी टेस्ट): 4.5 किलो वजन के साथ 5 किमी दौड़,पुरुष – 24.30 मिनट महिला – 30 मिनट,20 किमी स्पीड मार्च: पुरुष – 3 घंटे 15 मिनट, महिला – 3 घंटे 57 मिनट ,चिन-अप्स: पुरुष – 10, महिला – 20 पुश-अप्स के समकक्ष

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मेडिकल स्टडी के अनुसार, महिलाओं और पुरुषों के टेस्ट पैरामीटर पूरी तरह समान नहीं हो सकते। पुरुषों में 16-19 साल की उम्र में ग्रोथ रुक जाती है, जबकि महिलाओं में यह प्रक्रिया 19 साल के बाद भी जारी रहती है। इसी कारण महिलाओं पर कठिन ड्रिल का प्रभाव अधिक देखा गया है।फिलहाल, सेना में इस विषय पर चर्चा जारी है कि महिलाओं की ट्रेनिंग कैसे सुधारी जाए ताकि वे अधिक सक्षम बन सकें और सेना में उनकी भागीदारी मजबूत हो।

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