उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में छोटे और मझोले उद्योगों के लिए जारी की गयी नई नीति (New Policy) में निजी क्षेत्र एमएसएमई पार्क बना सकेंगे और गांवों में भी औद्योगिक उपनगर विकसित हो सकेंगे. निजी सार्वजनिक सहभागिता (पीपीपी मॉडल) के आधार पर भी एमएसएमई पार्क (MSME Parks) या फ्लैटेड फैक्ट्री कांप्लेक्स बनाए जा सकेगें. एक्सप्रेस-वे को दोनो तरफ पांच किलोमीटर तक उपलब्ध ग्राम सभा की जमीन मिनी औद्योगिक नगर के लिए एमएसएमई विभाग को निशुल्क उपलब्ध हो सकेगी.
योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार की ओर से जारी की गयी नई एमएसएमई नीति में बड़े पैमाने पर छोटे उद्योगों को लगाने के लिए सहूलियतों और रियायतों का एलान किया गया है. नीति के मुताबिक, अब किसी भी गांव में उपलब्ध पांच एकड़ या अधिक ग्राम समाज की जमीन को उद्योग निदेशालय को निशुल्क दिया जाएगा. इस जमीन को छोटे उद्योग लगाने के लिए उद्यमियों को जिलाधिकारी सर्किल रेट पर दिया जा सकेगा. गांव में उद्योग लगाने के लिए जमीन देने में संबंधित विकास खंड के उद्यमी को प्राथमिकता दी जाएगी.
यहां मिलेगी स्टांप शुल्क में 100 फीसदी की छूट
नई नीति के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड और पूर्वांचल में स्थापित होने वाले एमएसएमई को स्टांप शुल्क में 100 फीसदी की छूट तो नोएडा और गाजियाबाद को छोड़कर पूरे मध्यांचल और पश्चिमांचल में 75 फीसदी की छूट दी जाएगी. नोएडा और गाजियाबाद में एमएसएमई लगाने वालों को स्टांप शुल्क में 50 फीसदी की छूट दी जाएगी. महिला उद्यिमयों को प्रदेश में कहीं भी इकाई लगाने पर 100 फीसदी स्टांप शुल्क में छूट मिलेगी. नीति में प्रदेश के बुंदेलखंड और पूर्वांचल में सूक्ष्म उद्यम लगाने पर 25 फीसदी तो मध्यांचल और पश्चिमांचल में 20 फीसदी की कैपिटल सब्सिडी दी जाएगी. लघु उद्यम के लिए यह क्रमश 20 और 15 फीसदी होगी, जबकि मझोले उद्योगों के लिए 15 और 10 फीसदी होगी.
10 इकाईयों को स्थान दिया जा सकेगा
नीति के मुताबिक, आगरा, गंगा, बुंदेलखंड, पूर्वांचल और प्रदेश में विकसित हो रहे अन्य एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ पांच किलोमीटर की दूरी तक ग्राम समाज की उपलब्ध पांच एकड़ या अधिक जमीन को मिनी इंड्स्ट्रियल एरिया विकसित करने के लिए निशुल्क उपलब्ध करायी जा सकेगी. यहां भी एमएसएमई के लिए जमीन का आवंटन जिलाधिकारी सर्किल रेट के आधार पर किया जाएगा. यूपी में निजी क्षेत्र 10 एकड़ या अधिक जमीन पर एमएसएमई पार्क, फ्लैटेड फैक्ट्री कांप्लेक्स या औद्योगिक एस्टेट विकसित कर सकेंगे. इनमें कम से कम 10 इकाईयों को स्थान दिया जा सकेगा.
औद्योगिक एरिया विकसित किए जाएंगे
एमएसएमई पार्क, फ्लैटेड फैक्ट्री कांप्लेक्स या औद्योगिक एस्टेट विकसित करने वालों को परियोजना लागत के लिए लिए गए कर्ज पर देय ब्याज का 50 फीसदी या अधिकतम दो करोड़ रुपए सालाना सात सालों के लिए प्रतिपूर्ति के तौर पर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दिया जाएगा. परियोजना लागत में जमीन खरीद, आवस्थापना विकास पर हुए खर्च और श्रमिक आवासों के निर्माण पर हुआ खर्च शामिल माना जाएगा. पीपीपी के आधार पर भी एमएसएमई पार्क और औद्योगिक एरिया विकसित किए जाएंगे.
स्पेशल परपज व्हीक्ल का गठन किया जाएगा
उत्तर प्रदेश के मौजूदा इंडस्ट्रियल एरिया में अवस्थापना सुविधाओं के विकास के स्पेशल परपज व्हीक्ल (एसपीवी) का गठन किया जाएगा. इस एसपीवी में संबंधित क्षेत्र के उद्यिमयों की सहभागिता होगी और अवस्थापना विकास के सभी काम उनकी मदद से किए जाएंगे. अवस्थापना सुविधाओं के विकास और रख-रखाव के लिए सरकार भी उद्यमियों के बराबर आर्थिक सहयोग करेगी. सरकार की ओर से योगदान केवल एक ही बार किया जाएगा. सभी औद्योगिक क्षेत्रों को नगर निगमों को हस्तांतरित करने के लिए नीति बनायी जाएगी.
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