अमेरिका (America) के डब्ल्यूआरईजी न्यूज चैनल 3 (WREG News Channel 3) की एक महिला पत्रकार नीना हैरल्सन (Nina Harrelson) को एक अनजान दर्शन में कहा कि आप टीवी पर काफी ज्यादा भारी भरकम दिखतीं है. जिसके बाद उन्होंने उस दर्शक को करारा जवाब दिया है. नीना ने कहा कि पत्रकार न तो मॉडल्स होती हैं और न ही किसी की आई कैंडी हैं. बता दें नीना हैरल्सन डब्ल्यूआरईजी डे ब्रेक वीकेंड शो को होस्ट करती हैं.
नीना हैरल्सन ने ट्वीट करते हुए दर्शकों से कहा कि ‘मेरे शरीर या वजन को लेकर टिप्पणी करना बंद कर दीजिए. क्योंकि मैं किसी के लिए आई कैंडी के तौर पर नहीं दिखना चाहती हूं. मैं एक पत्रकार हूं न कि किसी के लिए आई कैंडी’. नीना ने कहा कि ‘कोई भी महिला पत्रकार अपनी बॉडी को लेकर आपकी राय जानने की इच्छुक नहीं है. हम आपकी आई कैंडी नहीं हैं’. उनके इस ट्वीट को रविवार से अब तक 1.25 लाख से ज्यादा लोग लाइक कर चुके हैं. इसे अब तक 10 हजार बार री-ट्वीट किया जा चुका है.
वहीं, इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है कि महिलाओं को कैसे कपड़े पहनने चाहिए और पुरुष प्रधान समाज में गंभीरता से लिए जाने के लिए उन्हें किस तरह का व्यवहार करना चाहिए. कुछ यूजर्स ने लिखा कि महिलाओं के बारे में फालतू की राय बनाने या उन्हें बेवजह राय देना बंद किया जाना चाहिए.
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दरअसल, नीना हैरल्सन का उठाया मुद्दा नया नहीं है. अमेरिका में साल 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद के वर्षों में महिला पत्रकारों ने टीवी न्यूज रूम के लिए कई लोकप्रिय चेहरे दिए. साथ ही कई महिला पत्रकारों ने राजनीतिक, आर्थिक, रणनीतिक विचारों वाले शो को होस्ट किया. इसके बावजूद महिलाओं के साथ दोहरे मानक अपनाए जाते रहे. गंभीर पत्रकारिता के बाद भी उनके लुक्स को लेकर लोगों की सोच नहीं बदली.
इस मामले पर एलिसन यैरो ने लिखा कि महिला पत्रकारों के लिए यह तय कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है कि कब कोई व्यक्ति उन पर टिप्पणी करते हुए सीमा लांघ रहा है. वह लिखती हैं कि ‘लुक्स के मानक महिला और पुरुष पत्रकारों के लिए समान नहीं हैं. ऐसे में ये नियम महिलाओं को सफलता की सीढ़ियां चढ़ने से रोकते हैं. अगर वे युवा नहीं हैं तो उन्हें कैमरे के पीछे धकेल दिया जाता है.
वहीं, डब्ल्यूआरईजी की पत्रकार नीना हैरल्सन लिखती हैं कि ‘9 साल न्यूजरूम में काम करने के बाद मेरी चमड़ी काफी मोटी हो चुकी है यानी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. मुझे उन युवा महिला पत्रकारों के लिए अफसोस है, जिन्हें इस तरह की टिप्पणियां झेलनी पड़ती हैं’.
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