US Election Result: कांटे की टक्कर में बाइडेन से इसलिए पिछड़े ट्रंप

अमेरिका में राष्ट्रपति (US Election Result) पद के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और उनके प्रतिद्वन्द्वी, डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बाइडेन (Biden) के बीच कांटे की टक्कर चल रही है.ट्रंप कुछ राज्यों में बाइडेन की जीत को कानूनी तौर पर चुनौती देने पर विचार कर रहे हैं. चुनाव के दो दिन बाद भी अभी तक कोई उम्मीदवार जीत दर्ज करने के लिए आवश्यक मत हासिल नहीं कर पाया है. इस बीच, काउंटिंग में पिछड़ता देख डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से कोर्ट जाने की बात कही है. 


गौरतलब है कि मतदान दो दिन पहले हुआ और चुनाव में राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन व्हाइट हाउस पहुंचने के लिए आवश्यक 270 निर्वाचक मंडल मत के करीब पहुंच गये हैं . उन्होंने विस्कॉन्सिन और मिशिगन में जीत दर्ज कर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की राह को मुश्किल बना दिया है. अमेरिकी मीडिया के नवीनतम अनुमानों के अनुसार, पूर्व अमेरिकी उप राष्ट्रपति बाइडेन 253 मत और ट्रंप को 213 मत अब तक मिले हैं. वहीं, रिपब्लिकन पार्टी के उनके प्रतिद्वंद्वी ट्रंप कुछ राज्यों में बाइडेन की जीत को कानूनी तौर पर चुनौती देने पर विचार कर रहे हैं.


आतंक पर कार्रवाई से कम कम हुए मुस्लिम वोट

मुसलामानों के वोट बहुत कम मिले ट्रम्प को. अमेरिका के चुनाव विशेषज्ञ तो इस बात से भी हैरान हैं कि ट्रम्प को मिले कुल वोटों में से सत्रह प्रतिशत मुसलमानों के कैसे हैं? इज़राइल को शुद्ध रूप से समर्थन देने वाले डोनाल्ड ट्रम्प ने अपना पिछ्ला चुनाव भी यही कह कर जीता था कि वे आतंक के खिलाफ लड़ाई में देश को हमेशा आगे रखेंगे और अवैध इमिग्रेशन को रोकेंगे. डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि अमेरिका को बुरी मन्शा वाले लोगों से रोकने के लिये सात मुस्लिम देशों पर प्रतिबंध लगायेंगे और उन्होंने 2017 में अपना वादा निभाया. 


मुस्लिम वोटों की हुई गोलबंदी

पिछले चुनाव में उनको मुस्लिम विरोधी इसाइयों के वोट बड़ी संख्या में प्राप्त हुए थे जबकि मुसलमानों के वोट बहुत बड़ी संख्या में हिलैरी क्लिन्टन को गये थे. ट्रम्प के शासनकाल के दौरान उन पर मुसलमानों के प्रति भेदभावपूर्ण मन्शा रखने का आरोप कई बार लगा. और अंत में चुनाव के दौरान मुसलमानों के खुले समर्थक जो बाइडेन को देश के सत्तर प्रतिशत मुसलमानों के वोट मिले. जाहिर ही है कि बाइडेन को जिताने की चाहत से ज्यादा ट्रम्प को हराने और हटाने की चाहत से अमेरिका के मुसलमानों ने घर से बड़ी संख्या में निकल कर वोटिंग की. 


चीन ने चलाया ट्रम्प विरोधी अभियान

अमेरिका में चीन ने भी चलाया ट्रम्प विरोधी अभियान. ट्रम्प को हराने से अधिक महत्वपूर्ण उनको हटाना था और अपना व्यक्ति लाना था. बाइडेन ने शुरू से ही चीन समर्थन की राह पकड़ी इसलिये परोक्ष-अपरोक्ष रूप से चीन ने अमेरिका में अपने ढंग से और अपने स्रोतों का इस्तेमाल करके ट्रम्प को हरवाने में पूरी ताकत झोंक दी. इससे फायदा समानान्तर रूप से चीन को यह हुआ कि ट्रम्प को हराने में मदद करने के लिये जो बाइडेन चीन के कृतज्ञ रहेंगे और अब आगे अमेरिका चीन के काम आता रहेगा और अब तो कुछ अधिक काम आयेगा चीन के.


रंगभेद का सुनियोजित षडयन्त्र

लोगों ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि चार साल तक किसी भी प्रकार के रंगभेद से जुड़े प्रदर्शन या हिन्सा नहीं हुई, और जब हिन्सक प्रदर्शन हुए तो उसी साल हुए जिस साल चुनाव होने वाले हैं. साल 2020 में चुनाव हुए तो मई में दंगे कराये गये ठीक इसी तरह जब 2016 में चुनाव थे तो उस वर्ष भी ठीक चुनाव के पहले ही दंगे करा दिये गये ताकि उसका फायदा चुनाव में उठाया जा सके. नवंबर 2016 में चुनाव थे तो सितंबर 2016 में दंगे भड़काये गये. जाहिर है चुनावों में फायदा उठाने के लिये इन दंगों का इस्तेमाल होता है.


अश्वेतों का किया जा रहा है इस्लामीकरण

दुनिया भर में इसाई मिशनरियों को इस्लामीकरण मात दे रहा है. अफ्रीका हो, यूरोप या अमेरिका बहुत आसान है अश्वेतों को श्वेतों के विरुद्ध भड़काना. उन्हें बताया जाता है कि श्वेत तुमसे घृणा करते हैं इसलिये उनको टक्कर देने के लिये मुसलमान बन जाओ. इस तरह गोरों का इसाई रूप में और कालों का उनके विरोधी के तौर पर मुसलमान के रूप में सुनियोजित वर्गीकरण किया गया है जो धीरे-धीरे उसी तरह पश्चिमी जगत में कामयाब हो रहा है जिस तरह भारत में सवर्णों के विरुद्ध भड़का कर दलितों का इस्लामीकरण बरसों से चल रहा है.


अमेरिकी-भारतीयों के वोट बंट गए 

अमेरिका में रहने वाले वोट देने के अधिकारी भारतीयों के वोट बंट गए. वोट देने के अधिकारी 25 लाख अमेरिकी-भारतीय चार हिस्सों में बंट गए. पहले दो हिस्से कन्फ्यूज़ हिन्दुस्तानियों के थे और वे कन्फ्यूज़ हुए कमला हैरिस के कारण और ट्रम्प की इमीग्रेशन सख्ती के कारण. कमला हैरिस का दूर से कहीं हिन्दू होना या हिन्दुस्तान से संबंध रखना उन्हें इतना उत्साहित कर गया कि उन्हें लगा मानो उनकी ही सरकार बन जायेगी अगर कमला को जिताया. दूसरा वर्ग वो था जो ट्रम्प के इमीग्रेशन की सख्ती के कारण कन्फ्यूज़ था. उनको लगा कि ट्रम्प का यही असली चेहरा है और चूंकि वो इमीग्रेशन सख्त कर रहा है अर्थात वो अब भारतीयों को इस देश में प्रवेश देना नहीं  चाहता अर्थात कुल मिला कर ट्रम्प भारत विरोधी है.


4 हिस्सों में बंट गया भारतीय वोट

पहले और दूसरे हिस्सों में बंटे भारतीय वोटों के बाद अमेरिकी-भारतीयों का मताधिकारी वो तीसरा हिस्सा उन हिन्दुस्तानियों का था जो अच्छी तरह समझ गए थे कि इस्लामीकरण का विरोधी ट्रम्प कुल मिला कर भारत समर्थक नेता है इसलिए उन्होंने ट्रम्प के समर्थन में ही वोट देने का मन बनाया और बाहर निकल कर ट्रम्प को वोट किया. परन्तु चौथा हिस्सा उन आलसी भारतीयों का था जो ट्रम्प समर्थक तो काफी थे किन्तु बाहर निकल कर वोट देने को जरूरी नहीं समझ रहे थे और अपने घरों के आराम-ज़ोन में बैठ कर टीवी पर राजनीति का खेल देख रहे थे. 


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