यूपी: कनिका कपूर वाली गलती कर बैठे IPS सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज, इसीलिए योगी सरकार को लेना पड़ा एक्शन

हाल ही में ये खबर सामने आई थी कि तबादले के बाद प्रतीक्षारत किए गए आईपीएस सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज कोरोना पॉजिटिव पाए गए है। इस मामले में अब नया मोड़ सामने आ रहा है। दरअसल, बात ये है कि आईपीएस सत्यार्थ ने सिंगर कनिका कपूर जैसी गलती दोहरा दी। उन्होंने पहले कोरोना पॉजिटिव अपने दोस्त को घर में रखा और उसके संक्रमण की बात छुपाई, फिर खुद भी संक्रमित होते हुए ड्यूटी करते रहे और अपने ड्राइवर एवं गनर को भी संक्रमित कर दिया। उनके पिता भी इसी वजह से संक्रमित पाए गए। इनके इसी कदम के चलते योगी सरकार ने इनके खिलाफ सख्त एक्शन लेते हुए इन्हें कप्तान पद से हटाकर प्रतीक्षारत किया।


ये है मामला

मार्च महीने में कनिका कपूर के कोरोना पॉजिटिव निकलने से हड़कंप मच गया था। इसकी खास वजह ये थी कि उन्होंने संक्रमित होने के बाद भी कई पार्टियों में शिरकत की थी। कई लोगों से मुलाकात की थी। ठीक ऐसी ही हरकत प्रयागराज के पूर्व एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने कर दी। जिसकी वजह से उन्होंने खुद के साथ साथ अपने अधीनस्थों को खतरे में डाल दिया है।


दरअसल, सूत्रों के मुताबिक, प्रयागराज के पूर्व एसएसपी रहे अनिरुद्ध सत्यार्थ का जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का सहपाठी रहा विश्व दीपक त्रिपाठी उनसे मिलने 8 जून को प्रयागराज आया था। 10 जून को कोरोना के लक्षण दिखने पर उसकी जांच कराई गई, 12 जून को आई रिपोर्ट में वह पॉजिटिव निकला। आईपीएस ने दोस्त को अस्पताल में भर्ती कराने की बजाए घर में ही छुपा कर रखा और डॉक्टर को अपने पद का रुतबा दिखाया।


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इसलिए किए गए प्रतीक्षारत

इसके बाद उसी दिन शाम यानी की 12 जून को प्रयागराज एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध में कोरोना लक्षण दिखे, जिसके बाद ट्रूनेट मशीन से उनकी जांच कराई गई। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती होने के कहा गया, लेकिन उन्होंने भर्ती होने से मना कर दिया। इसके बाद मोतीलाल नेहरू (एमएलएन) मेडिकल कॉलेज प्रयागराज भेजा गया। इसकी रिपोर्ट में भी संक्रमित होने के बाद भी वो लगातार ड्यूटी करते रहे।


वरिष्ठ अधिकारियों ने जब उन पर दबाव डाला तो उसी तारीख की शाम में फिर से उनका सैम्पल लिया गया। पहले सैम्पल की रिपोर्ट 15 जून को आई जिसमें वह पॉजिटिव निकले। वहीं दूसरे सैम्पल की रिपोर्ट 16 जून को आई, जो पॉजिटिव थी। आईपीएस की इसी लापरवाही के चलते सीएम योगी ने सख्त एक्शन लेते हुए उन्हें प्रतीक्षारत कर दिया।


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