श्रीहरिकोटा से भारत के एमिसैट (ईएमआईएसएटी) उपग्रह का इसरो ने सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर लिया है. एमिसैट के साथ ही 28 विदेशी नैनो उपग्रह भी प्रक्षेपित किए गए. पीएसएलवी-सी45 नामक इस मिशन के तहत पहली बार इसरो पृथ्वी की तीन कक्षाओं में उपग्रह स्थापित कर अंतरिक्ष संबंधी प्रयोग करेगा. एमिसैट उपग्रह का मकसद विद्युत चुंबकीय माप लेना है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि प्रक्षेपण की उलटी गिनती सुबह 6:27 बजे शुरू हो गई थी. चार चरणों वाला पीएसएलवी-सी45 श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांच पैड से सोमवार सुबह 9:27 बजे प्रक्षेपित किया गया. इसरो के मुताबिक, अबकी बार लांच के लिए चार स्ट्रैप ऑन मोटर्स से लैस पीएसएलवी-क्यूएल संस्करण का उपयोग किया गया. पीएसएलवी का उपयोग भारत के दो प्रमुख मिशनों में किया जा चुका है. 2008 में चंद्रयान में और 2013 में मंगल मिशन में.
एमिसैट सुरक्षा के नजरिए से भी भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे इसरो और डीआरडीओ ने मिलकर बनाया है। इसका खास मकसद पाकिस्तान की सीमा पर इलेक्ट्रॉनिक या किसी तरह की मानवीय गतिविधि पर नजर रखना है। यानी बॉर्डर पर ये उपग्रह रडार और सेंसर पर निगाह रखेगा। ना सिर्फ मानवीय बल्कि संचार से जुड़ी किसी भी तरह की गतिविधि पर नजर रखने के लिए इस उपग्रह का इस्तेमाल हो सकेगा.
बॉर्डर पर ये उपग्रह रडार और सेंसर पर निगाह रखेगा
एमिसैट सुरक्षा के नजरिए से भी भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे इसरो और डीआरडीओ ने मिलकर बनाया है. इसका खास मकसद पाकिस्तान की सीमा पर इलेक्ट्रॉनिक या किसी तरह की मानवीय गतिविधि पर नजर रखना है. यानी बॉर्डर पर ये उपग्रह रडार और सेंसर पर निगाह रखेगा. ना सिर्फ मानवीय बल्कि संचार से जुड़ी किसी भी तरह की गतिविधि पर नजर रखने के लिए इस उपग्रह का इस्तेमाल हो सकेगा.
नासा की तर्ज पर आम आदमी को लांचिंग दिखाएगा इसरो
इसरो ने भी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की तर्ज पर आम आदमी को अपने अंतरिक्ष अभियानों से भावनात्मक तौर पर जोड़ने का प्रयास शुरू किया है. इसके लिए इसरो ने भी नासा की तरह ही आम आदमी को रॉकेट लांचिंग दिखाने के लिए करीब 5 हजार दर्शक क्षमता वाली स्टेडियम जैसी गैलरी सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पर तैयार कराई है. इसमें आने वाले दर्शकों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा. इस गैलरी के सामने दो लॉन्चपैड होंगे और यहां से बैठकर रॉकेट लॉन्चिंग का नजारा बड़ी आसानी से देखा जा सकेगा.
क्या है एमसैट
- समुद्री उपग्रह प्रयोगों के लिए इसरो से स्वचालित पहचान प्रणाली हैं जो जहाजों से प्रेषित संदेशों को कैप्चर करते हैं.
- एमसैट (रेडियो एमेच्योर सैटेलाइट कॉर्पोरेशन), भारत से ऑटोमैटिक पैकेट रिपीटिंग सिस्टम, पोजीशन डाटा की निगरानी और शौकिया रेडियो ऑपरेटरों की सहायता के लिए.
- अंतरिक्ष में विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम की जांच करेगा ये सेटेलाइट
- 436 किलोग्राम वजन वाले इस सैटेलाइट से भारतीय सर्विलांस होगा मजबूत
- डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने स्वदेश में ही किया है इस सैटेलाइट का निर्माण
- 749 किमी ऊंची कक्षा में स्थापित होने के बाद करेगा रडार नेटवर्क की निगरानी
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