अमेरिकी फार्मा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. ख़बरों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने जॉनसन एंड जॉनसन को राहत न देते हुए कहा है कि, उसे भारत सरकार की ओर से तय किए गए मुआवजे के आधार पर ही मरीजों को भुगतान करना होगा. गौरतलब है कि जॉनसन एंड जॉनसन ने खराब हिप इम्प्लांट की शिकायतों के बाद सरकार के मुआवजे के फॉर्मूले पर सवाल उठाया था और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए कहा है की, पीड़ितों को 3 लाख रुपए से लेकर 1.22 करोड़ रुपए के मुआवजे का प्रावधान बिल्कुल सही है. इस मामले में हिप इंप्लांट में उपयोग होने वाले खराब उपकणों की वजह से करीब 14 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं.
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किसे-किसे मिलेगा फायदा
कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि इस मुआवजे के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताया जाए, ताकि जितने भी मरीज हिप इंप्लांट की प्रक्रिया में प्रभावित हुए हैं, उन सबको मुआवजा मिल सके. बता दें कि सरकार ने इस मामले में गठित एक समिति के आधार पर मुआवजे का फॉर्मूला तैयार किया था, लेकिन इस पर जॉनसन एंड जॉनसन ने ये कहकर आपत्ति जताई थी कि मुआवजे के फॉर्मूले के बारे में सरकार ने कंपनी से कोई राय नहीं ली.
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ये है पूरा मामला
बता दें कि ये मामला साल 2004 से 2010 के बीच कंपनी के हिप इंप्लांट से उपकरणों से जुड़ा है. फॉर्मा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन के हिप इंप्लांट डिवाइस की वजह से दुनिया भर के कई मरीजों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा. पहली बार साल 2009 में जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी के खराब हिप इंप्लांट सिस्टम का मामला सामने आया था. कंपनी के मुताबिक भारत में 2006 से लेकर इन उपकरणों के तहत 4,700 सर्जरी हुई थी, जिसमें 2014 से लेकर 2017 के बीच 121 गंभीर मामले सामने आए थे. भारत में कंपनी के गलत हिप इंप्लांट सिस्टम की वजह से लगभग 3600 मरीज प्रभावित हुए हैं.
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