बुधवार को जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (Justice BR Gavai) ने देश के नए प्रधान न्यायाधीश (Chief Justice of India) के रूप में शपथ ली। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। उन्होंने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का स्थान लिया, जो एक दिन पहले सेवानिवृत्त हो गए थे। जस्टिस गवई का कार्यकाल करीब छह महीनों का होगा और वे 23 दिसंबर 2025 को रिटायर होंगे।
सीजेआई की परंपरा का पालन करते हुए हुई नियुक्ति
भारत के न्यायिक परंपरा के अनुसार, निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश अपने उत्तराधिकारी के रूप में सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश का नाम सुझाते हैं। उसी परंपरा का पालन करते हुए सीजेआई संजीव खन्ना ने 16 अप्रैल को केंद्र सरकार को जस्टिस गवई का नाम प्रस्तावित किया था। इसके बाद कानून मंत्रालय ने 30 अप्रैल को उनके नियुक्ति की अधिसूचना जारी की।
न्यायमूर्ति गवई के ऐतिहासिक निर्णय
1. राजीव गांधी हत्याकांड
जस्टिस गवई की अगुवाई में बनी पीठ ने इस ऐतिहासिक मामले में 30 साल से अधिक जेल में बंद दोषियों की रिहाई का आदेश दिया। पीठ ने माना कि राज्यपाल ने तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर कोई कार्रवाई नहीं की, इसलिए रिहाई उचित है।
2. वणियार आरक्षण मुद्दा
तमिलनाडु सरकार द्वारा वणियार समुदाय को दिए गए विशेष आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। न्यायालय ने इसे अन्य पिछड़ा वर्गों के साथ भेदभावपूर्ण बताते हुए असंवैधानिक ठहराया।
3. नोटबंदी की वैधता
2016 में लागू की गई नोटबंदी योजना को जस्टिस गवई की पीठ ने 4:1 के बहुमत से वैध करार दिया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच समुचित परामर्श के बाद लिया गया था।
4. ईडी निदेशक कार्यकाल विवाद
जुलाई 2023 में जस्टिस गवई की बेंच ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के सेवा विस्तार को गैरकानूनी बताया और उन्हें 31 जुलाई तक पद से हटने का निर्देश दिया।
5. बुलडोजर कार्रवाई पर बड़ा फैसला
2024 में दिए गए एक महत्वपूर्ण निर्णय में, जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने स्पष्ट किया कि केवल किसी व्यक्ति पर आरोप लगने मात्र से उसकी संपत्ति ध्वस्त नहीं की जा सकती। बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के की गई ऐसी कोई भी कार्रवाई असंवैधानिक मानी जाएगी और संबंधित अधिकारी जवाबदेह होगा।