कानपुर जिले के बिकरू कांड में विकास दुबे और उसके साथियों ने सीओ देवेन्द्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। पर, लगता है कि कानपुर पुलिस की नजरों में सीओ देवेन्द्र अभी भी जीवित हैं। दरअसल, पुलिस ने शहीद बिल्हौर के सीओ देवेंद्र मिश्रा को दलित किसान की हत्या के केस में विवेचक बना दिया है। जब इस लापरवाही की जानकारी हुई तो पुलिस महकमे में खलबली मच गई।
ये है मामला
जानकारी के मुताबिक, कानपुर के बिल्हौर थाना क्षेत्र के मल्लापुर गांव में रहने वाले एक किसान का शव हाल ही में उसके खेत में मिला था। बाद मृतक के पुत्र द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई थी। जिसको दर्ज करते समय पुलिस कर्मचारी ने प्रार्थना पत्र के अनुसार हत्या की दिनांक चार अक्टूबर 2020 लिखी है। फिर पूरे घटनाक्रम के बाद जांच अधिकारी के नाम की जगह सीओ देवेन्द्र मिश्रा अंकित किया गया है। जबकि सीओ देवेन्द्र कानपुर शूटआउट केस में शहीद हो चुके हैं।
एसपी ग्रामीण बृजेश श्रीवास्तव के मुताबिक एफआईआर में विवेचक के नाम पर किसी तकनीकी कारणों ने शहीद देवेन्द्र मिश्रा का नाम आ गया है। इससे पूर्व में वर्तमान क्षेत्राधिकारी संतोष सिंह का नाम आ रहा है। इसके लिए हमने यूपी पुलिस डॉट कॉम और सीसीटीएमएस से बात की है। वहां पर उन्होने पहले भी चेंज कर दिया था। अब यह किस तकनीकी कारण से हुआ है, इसको चेक करा लिया जाएगा।
दो जुलाई को हुआ था एनकाउंटर
गौरतलब है कि 2 जुलाई को कानपुर में विकास दुबे और उसके साथियों ने सीओ देवेंद्र मिश्रा सहित 8 पुलिस वालों को रात के अंधेरे में घात लगाकर मार डाला था। जिसके बाद उत्तर प्रदेश का गैंगस्टर विकास दुबे आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी बन गया था। हालांकि विकास दुबे और उसके कई साथी एनकाउंटर में मारे का चुके हैं। जबकि कईयों के खिलाफ केस चल रहा है।
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