ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे: वीडियोग्राफी के विरोध में बवाल काटने वालों की आई शामत!, FIR दर्ज कर गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही पुलिस

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मस्जिद (Kashi Vishwanath Gyanvapi Masjid) का मुद्दा गरमाया हुआ है. मस्जिद के पश्चिमी हिस्से में श्रृंगार गौरी की प्रतिमा होने के दावे की जांच के लिए कोर्ट ने मस्जिद की वीडियोग्राफी का आदेश दिया है. इसके लिए दो दिनों से कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा के नेतृत्व में टीमें वीडियोग्राफी के लिए मस्जिद जाती हैं लेकिन उन्हें सर्वे के लिए वांछित सफलता नहीं मिलती है. जानकारी के मुताबिक मुस्लिम पक्ष के लोगों के भारी विरोध के कारण टीम मस्जिद के अंदर नहीं जा पा रही है और सर्वे का काम पूरा नहीं हो पा रहा है. इस दौरान जमकर बवाल काटा गया औऱ नारेबाजी की गई. वहीं अब ऐसे अराजक तत्वों के खिलाफ वाराणसी पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है.

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मस्जिद प्रकरण में 2 दिनों तक चले कमीशन सर्वे के दौरान हुए विरोध, नारेबाजी तथा भीड़ को उकसाने का प्रयास करने के मामले में वाराणसी के चौक थाना में मुकदमा दर्ज किया गया है. लगभग आधा दर्जन गंभीर धाराओं में एक नामजद सहित, कई अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है. अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस दबिश दे रही है.

क्या है कोर्ट का आदेश
18 अगस्त 2021 को कोर्ट में शुरू हुए इस विवाद के वादियों का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, हनुमान, आदि विश्वेश्वर, नंदीजी और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं. ये सभी देवी-देवता प्लॉट नंबर 9130 पर मौजूद हैं जो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से सटा है. वादी पक्ष की कोर्ट से मांग है कि मस्जिद की इंतजामिया कमिटी इन मूर्तियों को नुकसान न पहुंचाए. साथ ही हिंदू लोगों को यहां दर्शन-पूजन की इजाजत मिले. हिंदू पक्ष की याचिका में यह मांग भी की गई थी कि एक कमीशन गठित करके कोर्ट मस्जिद परिसर में देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की मौजूदगी को सुनिश्चित करे. इसे लेकर ही कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति कर अदालत ने मस्जिद परिसर की कथित वीडियोग्राफी कराने का आदेश दिया था.

कोर्ट के आदेश के बाद एडवोकेट कमिश्नर के नेतृत्व में सर्वेक्षण की टीम शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद पहुंची थी लेकिन मुस्लिम पक्ष के विरोध के कारण टीम मस्जिद के भीतर नहीं घुस पाई थी. इसके बाद दोनों पक्षों की सहमति से मस्जिद के भीतर सर्वेक्षण के लिए अगले दिन का समय रखा गया. अगले दिन दोपहर तीन बजे सर्वे होना था लेकिन हालात पहले दिन वाले जैसे ही रहे. भारी विरोध के कारण टीम को बैरंग वापस लौटना पड़ा.

कौन हैं विरोध करने वाले
हिंदू पक्ष का आरोप है कि भीड़ के दम पर कोर्ट के आदेश के पालन से रोकने की कोशिश की जा रही है. हिंदू पक्षकारों में से एक विष्णु जैन ने बताया कि मस्जिद में दोपहर 1 बजे और शाम को 5 बजे नमाज होती है. ऐसे में सर्वे का काम 1 बजे से पहले नहीं हो सकता. इसके अलावा 5 बजे भी मस्जिद में नमाज अदा की जाती है. मुस्लिम पक्षकारों ने भी कहा कि वह 3 बजे से पहले नहीं आ पाएंगे. इस वजह से सर्वे का काम 3 बजे से 5 बजे तक के लिए निर्धारित किया गया था, लेकिन सर्वे करने वाली टीम जब 3 बजे मस्जिद में प्रवेश की कोशिश करने लगी, तो वहां भारी संख्या में मौजूद लोग टीम के अंदर आने का विरोध करने लगे.

जैन ने बताया कि ये वे लोग थे, जो दोपहर 1 बजे की नमाज आदा करने आए थे और वापस नहीं गए. उन्होंने सर्वे करने वाली टीम को अंदर नहीं आने दिया. उन्होंने इसे कोर्ट के आदेश की अवमानना बताया और आरोप लगाया कि एक पक्ष भीड़तंत्र के दम पर कोर्ट के काम में रुकावट डाल रहा है जबकि कोर्ट का आदेश है कि मस्जिद परिसर की वीडियोग्राफी कराई जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हिंदू पक्ष के दावे के मुताबिक वहां देवी-देवताओं के चिह्न हैं या नहीं?

ज्ञानवापी-शृंगार गौरी का विवाद पिछले साल तब शुरु हुआ था जब पांच हिंदू महिलाओं ने कोर्ट में अर्जी डालकर मस्जिद के अंदर कथित तौर पर मौजूद श्रृंगार गौरी तथा अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा की पूजा करने की इजाजत मांगी थी. हिंदुओं का दावा है कि प्लॉट संख्या 9130 पर स्थित मस्जिद के भीतर कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं. इसके अलावा तहखाने में शिवलिंग भी है, जिसकी साल 1990 तक पूजा की जाती थी. इससे साबित होता है कि मस्जिद कभी मंदिर था, जिसे तोड़कर मौजूदा ढांचा बनाया गया है.

क्या है मुस्लिम पक्ष का दावा
ज्ञानवापी मस्जिद की इंतजामिया कमिटी मस्जिद के भीतर वीडियोग्राफी का विरोध कर रही है. कमिटी का कहना है कि कोर्ट ने सिर्फ मस्जिद की बैरिकेडिंग के बाहर की वीडियोग्राफी करने को कहा है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक, सर्वे टीम ने पहले ही दिन मस्जिद के बाहर की वीडियोग्राफी कर ली है. मस्जिद कमिटी के अलावा अन्य मुस्लिम भी मस्जिद के अंदर की वीडियोग्राफी किए जाने का विरोध कर रहे हैं.

सरकार अदालत को बताए पूजा स्थल अधिनियम 1991: ओवैसी
इस मामले में ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि,”भाजपा सरकार को चाहिए कि वो अदालत जाकर बताए कि पार्लियामेंट ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 पास किया था. जिसमें कहा गया था कि कोई भी मजहबी जगह जो 15 अगस्त 1947 को वजूद में आई थी उसे भंग नहीं किया जाएगा.” उन्होंने आगे कहा,”यह भाजपा और संघ है, जो इस मामले पर लोगों का ध्यान दिला रही है.”

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