केदारनाथ धाम के खुले कपाट, 108 क्विंटल फूलों से सजा दरबार, उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

 Kedarnath Dham: केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के कपाट शुक्रवार को परंपरागत विधियों के साथ खोले गए। कपाट खुलते ही मंदिर के गर्भगृह में जलती अखंड ज्योति के दर्शन भक्तों को प्राप्त हुए। इस पावन अवसर पर रुद्राभिषेक, शिवाष्टक, शिव तांडव स्तोत्र और केदाराष्टक का सामूहिक जाप किया गया है।

मुख्य रावल ने की प्रथम पूजा

कपाट खुलने के साथ ही कर्नाटक के वीरशैव लिंगायत समुदाय से संबंध रखने वाले मुख्य रावल भीमशंकर मंदिर पहुंचे और उन्होंने सबसे पहले बाबा केदार की पूजा-अर्चना की। इसके पश्चात शिवलिंग से छह महीने पहले चढ़ाया गया ‘भीष्म शृंगार’ हटाया गया।

फूलों से सजा धाम

केदारनाथ मंदिर को इस बार विशेष रूप से 54 प्रकार के 108 क्विंटल फूलों से सजाया गया। इनमें नेपाल, थाईलैंड और श्रीलंका से आयात किए गए गुलाब व गेंदा प्रमुख हैं। इस दिव्य श्रृंगार ने मंदिर को अद्भुत और भक्तिमय रूप प्रदान किया।

दर्शन के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

पहले दिन लगभग 10 हजार श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए। बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करने के लिए टोकन सिस्टम लागू किया गया है, जिससे दर्शन व्यवस्था सुचारु बनी रहे। अब आगामी छह महीनों तक श्रद्धालु दर्शन का लाभ उठा सकेंगे।

चारधाम यात्रा का शुभारंभ, बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई को खुलेंगे

30 अप्रैल, अक्षय तृतीया के दिन से चारधाम यात्रा शुरू हो चुकी है। गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट पहले ही खुल चुके हैं, जबकि बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई को खोले जाएंगे। अनुमान है कि इस बार जून से अगस्त के बीच मौसम अनुकूल रहा तो 25 लाख से अधिक श्रद्धालु केदारनाथ पहुंच सकते हैं।

क्या होता है ‘भीष्म शृंगार’?

भीष्म शृंगार एक विशेष परंपरा है जो कपाट बंद होने से पहले की जाती है। इसमें शिवलिंग को मौसमी फलों और ड्राई फ्रूट्स से ढंका जाता है, जिसे ‘आर्घा’ कहा जाता है। इसके बाद रुद्राक्ष की मालाएं, सफेद कपड़े की परतें हटाई जाती हैं।शिवलिंग पर लगाए गए 6 लीटर शुद्ध घी को धीरे-धीरे हटाया जाता है। फिर गंगा स्नान के अंतर्गत गोमूत्र, दूध, शहद और पंचामृत से अभिषेक किया जाता है। अंत में फूलों, भस्म और चंदन तिलक से बाबा केदार को सजाया जाता है।यह प्रक्रिया कपाट बंद करते समय करीब 5 घंटे लेती है, लेकिन कपाट खुलने के बाद इसे मात्र आधे घंटे में सम्पन्न कर लिया जाता है।

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