लखनऊ: केजीएमयू में पुरानी इमारतों की मरम्मत और रंगाई-पोताई का टेंडर पाने वाली फर्म ने पीडब्लूडी का फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र लगाया था। सत्यापन में इसकी पुष्टि होने की भनक लगते ही फर्म ने रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर बचा काम करने से इनकार कर दिया है। इसके साथ अब तक हुए काम का जल्द से जल्द भुगतान करने का अनुरोध किया है।
वहीं, फर्जीवाड़े की पुष्टि होने के बाद भी केजीएमयू ने इस मामले में अब तक कोई एफआईआर नहीं दर्ज करवाई है। इस बीच जांच कमिटी ने आरोपित फर्म और निर्माण विभाग से रिपोर्ट तलब की है।सीएम के जन सुनवाई पोर्टल पर 10 फरवरी को हुई एक शिकायत में आरोप लगाया गया था कि केजीएमूय के ई-टेंडर में फर्म बृजेश सिंह ने पीडब्लूडी देवरिया के प्रांतीय खंड का अनुभव प्रमाणपत्र लगाया था।
इसमें केजीएमयू के निर्माण विभाग के कर्मचारियों पर मिलीभगत का भी आरोप था। पीडब्ल्यूडी ने भी इस अनुभव प्रमाणपत्र को फर्जी बताया था। इसके बाद केजीएमयू ने कर्मचारी भेजकर सत्यापन करवाया तो प्रमाणपत्र के फर्जी होने की पुष्टि हो गई।इस बीच केजीएमयू वीसी ने सीएमएस प्रो़ बीके ओझा की अध्यक्षता में जांच कमिटी भी गठित कर दी है। ऐसे में गर्दन फंसती देख ठेकेदार केजीएमयू से काम समेटने की फिराक में है। फर्म ने केजीएमयू रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर यहां काम जारी रखने में असमर्थता जताई है। इसके साथ अब तक के काम का जल्द भुगतान करने का अनुरोध किया है। इस बारे में केजीएमयू प्रवक्ता प्रो़ केके सिंह का कहना है कि वीसी ने इस मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है। जांच कमिटी की रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्यवाही होगी।
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