प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए NDA उम्मीदवार फाइनल कर लिया है. बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम पर मुहर भी लग गई है. द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को NDA ने अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किया है. द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पूर्व राज्यपाल हैं और वह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए चुनाव लड़ने वाली पहली आदिवासी नेत्री होंगी. देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल होने का कीर्तिमान उनके नाम पर पहले ही दर्ज है.
कौन हैं एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है. वह एक आदिवासी जातीय समूह संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं. ओडिशा के आदिवासी परिवार में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू झारखंड की नौवीं राज्यपाल बनी थीं. राजनीतिज्ञ होने के अलावा वह अनुसूचित जनजाति समुदाय से आती हैं. राज्यपाल बनने से पहले वह भारतीय जनता पार्टी की सदस्य रही हैं. यही नहीं द्रौपदी मुर्मू साल 2000 में गठन के बाद से पांच साल का कार्यकाल (2015-2021) पूरा करने वाली झारखंड की पहली राज्यपाल हैं.
उड़ीसा में भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल गठबंधन सरकार के दौरान, वह 6 मार्च, 2000 से 6 अगस्त, 2002 तक वाणिज्य एवं परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहीं. इसके अलावा 6 अगस्त, 2002 से 16 मई 2004 तक मत्स्य पालन एवं पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री थीं.
मुर्मू ने एक शिक्षक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और फिर ओडिशा की राजनीति में प्रवेश किया. वह मयूरभंज (2000 और 2009) के रायरंगपुर से भाजपा के टिकट पर दो बार विधायक रहीं. उन्होंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में पार्टी के भीतर कई प्रमुख पदों पर कार्य किया है. मुर्मू 2013 से 2015 तक भगवा पार्टी की एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी थीं. उन्होंने 1997 में एक पार्षद के रूप में चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. उसी वर्ष, उन्हें भाजपा के एसटी मोर्चा का राज्य उपाध्यक्ष चुना गया.
भाजपा ने एक तीर से साधे दो निशाने
द्रौपदी मुर्मू को अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की है. भाजपा आदिवासियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है क्योंकि गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं. इन राज्यों में आदिवासियों का अच्छी खासी संख्या है. इसलिए आदिवासी मतदाता पार्टी की योजना के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं. इसके साथ ही, 64 वर्षीय द्रौपदी महिला मतदाताओं को आकर्षित करने में भी पार्टी की मदद कर सकती हैं.
मुझे इस अवसर की आशा नहीं थी : द्रौपदी मुर्मू
मुर्मू ने कहा, ‘मुझे इस अवसर की आशा नहीं थी. मैं पड़ोसी राज्य झारखंड की राज्यपाल बनने के बाद छह साल से भी ज्यादा वक्त से राजनीतिक कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं ले रही थी. आशा करती हूं सभी मेरा साथ देंगे.’ द्रौपदी की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद उनके पैतृक मयूरभंज जिले में खुशी का माहौल है.’ बड़ी संख्या में लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं.’
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