लखनऊ कोर्ट ने राहुल गांधी पर वीर सावरकर पर टिप्पणी करने के मामले में ठोका जुर्माना

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित एक अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर वीर सावरकर को लेकर की गई टिप्पणी को लेकर जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना राहुल गांधी के लगातार पेशी से अनुपस्थित रहने के कारण लगाया गया है। अदालत ने चेतावनी दी है कि अगर राहुल गांधी 14 अप्रैल 2025 को भी अदालत में हाजिर नहीं हुए तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

मामला क्या था?

वकील नृपेन्द्र पांडेय ने 2022 में राहुल गांधी के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी। पांडेय ने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने 17 दिसंबर 2022 को अकोला, महाराष्ट्र में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वीर सावरकर को “अंग्रेजों का नौकर” और “पेंशन लेने वाला” कहा था। इस बयान को लेकर पांडेय ने कहा था कि यह बयान समाज में घृणा और वैमनस्य फैलाने का उद्देश्य रखता था। शिकायत पर सुनवाई करते हुए अदालत ने राहुल गांधी को तलब किया था।

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अदालत का निर्णय और जुर्माना

अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने राहुल गांधी के अनुपस्थित रहने पर 200 रुपए का जुर्माना लगाया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि 14 अप्रैल 2025 को भी राहुल गांधी अदालत में उपस्थित नहीं होते, तो उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया जा सकता है।

राहुल गांधी की अनुपस्थिति पर स्पष्टीकरण

5 मार्च 2025 को सुनवाई के दौरान राहुल गांधी के अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने अदालत में एक प्रार्थना पत्र दाखिल किया। इसमें उन्होंने बताया कि राहुल गांधी इस समय संसद में विपक्ष के नेता हैं और उस दिन उनके पास एक विदेशी गणमान्य व्यक्ति से मुलाकात का कार्यक्रम था, इसके अलावा वह अन्य आधिकारिक कार्यों में भी व्यस्त थे। उन्होंने अदालत के आदेश का सम्मान करते हुए बताया कि वह जानबूझकर पेशी से बचने की कोशिश नहीं कर रहे थे।

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शिकायतकर्ता का आरोप

शिकायतकर्ता वकील नृपेन्द्र पांडेय ने अदालत में दलील दी कि राहुल गांधी बार-बार समन के बावजूद पेश नहीं हो रहे हैं और अदालत को उनके खिलाफ सख्त कदम उठाना चाहिए। उन्होंने राहुल गांधी द्वारा प्रस्तुत माफी पत्र का विरोध किया, और अदालत से मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग की।

अगली सुनवाई और अदालत की चेतावनी

अदालत ने राहुल गांधी को 14 अप्रैल 2025 को अनिवार्य रूप से अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया है। यदि इस तारीख पर भी वह अनुपस्थित रहते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें गैर-जमानती वारंट भी जारी किया जा सकता है।

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