उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में महिला आरक्षी की फांसी के फंदे पर लाश लटकती मिलने के 15 दिन बाद भाई ने हत्या की तरफ इशारा करते साक्ष्यों को जुटाकर पुलिस कमिश्नर को सौंपे हैं। पुलिस ने फंदे पर लटकने की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर महिला आरक्षी की मौत को आत्महत्या करार दिया था, लेकिन परिवार परिस्थितियों के आधार पर सामने आए सबूतों के हवाले से महिला आरक्षी के प्रेमी अखिल पर आरोप लगा रहा था। बीते 3 जनवरी को महिला आरक्षी आंशी तिवारी (Woman Constable Anshi Tiwari) की लाश फंदे से लटकती मिली थी।
सबूत इकट्ठा करने में लापरवाही
परिजनों का आरोप है कि विभागीय मामला होने के बाद भी पुलिस ने हत्या को आत्महत्या बदलने वाले प्रेमी को पकडने के बजाए क्लीन चिट दे दी, जबकि उसने पूरे प्लान के तहत उसकी हत्या की थी। दरअसल, उन्नाव गांधीनगर निवासी साड़ी की दुकान चलाने वाले चलाने वाले अंजनी तिवारी की 27 वर्षीय बेटी आंशी तिवारी का 3 जनवरी को शव फांसी के फंदे पर लटका मिला था।
भाई प्रशांत तिवारी के मुताबिक, घटना वाली रात 11.50 पर बहन के इटावा में रहने वाले ब्वाय फ्रैंड अखिल त्रिपाठी ने मैसेज करके बताया कि बहन ने लड़ाई के बाद फोन उठाना बंद कर दिया है। कोई अनहोनी हो सकती है। सुबह आलमबाग निवासी बहनोई आशुतोष मिश्र को घर भेजने पर पता चला बहन का शव फंदे पर लटका है। थाना पुलिस को प्रेमी पर हत्या करने का आरोप लगाते हुए शिकायत की, लेकिन थाना पुलिस तुरंत कार्रवाई करने की जगह पांच घंटे तक थाने पर बैठाई रही। इसके साथ ही मौके से साक्ष्य भी सही से एकत्र नहीं किए।
इसका ही नतीजा है कि हमको खुद बहन की हत्या के सबूत एकत्र करने पर पड़े। जिसके बाद साफ हुआ कि उसकी हत्या को आत्महत्या दिखाने के लिए उसके प्रेमी ने पूरी तैयारी कर रखी थी। जिसकी शिकायत पुलिस कमिश्नर से मिलकर की। उन्होंने पूरे मामले में नए सिरे से जांच कर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश थाना पुलिस को दिए हैं।
प्रेमी के हाथ में बंधा धागा मौके से मिला
भाई के मुताबिक पुलिस ने मौके से पूरी तरह से साक्ष्य तक एकत्र नहीं किए। इसका ही नतीजा है कि कमरे में कुंडी कैसे बंद हुई, प्लास्टर कैसे टूटा, वहां मिला हेलमेट किसका था और बहन के पैर जमीन से लगे थे आदि बिंदु कोई पुख्ता पड़ताल नहीं की। विवेचक से थानेदार को कई बार फोन करने के बाद भी कोई कार्रवाई न होते देख परिजनों के साथ खुद मौके से साक्ष्य एकत्र किए।
जिसमें दिखा कि कमरे की कुंडी को कोई भी धागे के माध्यम से बाहर से बंद कर सकता है। इसका ही सबूत है कि घटना वाले दिन कुंडी में टूटा हुआ कलावा लटका था। जिस पंखे से बहन को लटका दिखाया गया उस पंखे पर कोई भी निशान नहीं मिला। इसके साथ मौके से आरोपी अखिल का हाथ में बंधा धागा भी मौके से मिला। वहीं कमरे की खिड़की की ग्रिल अलग मिली। जिसे कोई भी आसानी से हटाकर अंदर आ सकता है।
अखिल के कई लड़कियों से संबंध की पता चली थी बात
भाई ने बताया कि सिपाही बहन आंशी की अखिल से फेसबुक पर दोस्ती हुई थी। जिसके बाद दोनों करीब आ गए। आंशी को इसी बीच अखिल के कई और लड़कियों से संबंध होने की बात पता चली। जिसको लेकर दोनों में विवाद होने लगा। वहीं अखिल अपने पुराने संबंधों को लेकर ब्लैकमेल करने लगा। जिससे वह मानिसक और आर्थिक तौर पर पेशान रहने लगी। जिसके चलते उसने यह कठोर कदम उठा लिया।
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