शनिवार 18 फरवरी को देशभर में महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। श्रद्धालुओं ने मंदिरों में अभी से इसकी तैयारियों की शुरूआत कर दी है। देश भर के शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की कतार बढऩे लगी है। इस बार महाशिव रात्रि पर शिव जी के साथ ही चंद्र पूजा का भी शुभ योग बन रहा है। इस दिन श्रवण नक्षत्र है। चंद्रमा इस दिन मकर राशि में रहेगा। श्रवण नक्षत्र का स्वामी चंद्र ही है। चंद्रदेव शिवजी के मस्तस्क विराजित हैं। इन कारणों से शिव जी के साथ ही चंद्रदेव की पूजा भी जरूर करें।
ज्योतिषाचार्यों और पूजा-पाठ विशेषज्ञों का कहना है कि चंद्र शिव जी के मस्तक पर स्थित है और भगवान को शीतलता प्रदान करता है। ये ग्रह औषधि, मन और धन का कारक है। पुरानी कथाओं के अनुसार चंद्रदेव का विवाह दक्ष प्रजापति की 27 कन्याओं के साथ हुआ था, लेकिन चंद्र सिर्फ रोहिणी पर ज्यादा ध्यान देते थे। ये बात चंद्र की बाकी 26 पत्नियों को अच्छी नहीं लगती थी। इन सभी ने चंद्रदेव की शिकायत अपने पिता दक्ष से की थी।
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अपनी पुत्रियों की बात सुनकर दक्ष चंद्र पर गुस्सा हो गए और उन्हें शाप दे दिया। दक्ष के शाप से चंद्र को क्षय रोग (टीबी) हो गया था। उस समय चंद्रदेव की ये बीमारी शिव जी की पूजा से ही दूर हुई थी। इस कथा की वजह से मान्यता है कि जो लोग शिव पूजन करते हैं, उनकी बीमारियां दूर हो जाती हैं और भक्तों का स्वास्थ्य हमेशा ठीक रहता है।
ऐसे कर सकते हैं चंद्र पूजा
महाशिवरात्रि पर सुबह जल्दी उठें। स्नान के बाद गणेश जी और शिव जी की पूजा के बाद चंद्रदेव की पूजा करें। चंद्रदेव की प्रतिमा का दूध से अभिषेक करें। चंद्रदेव की प्रतिमा न हो तो शिव जी के मस्तक पर विराजित चंद्र की पूजा कर सकते हैं। दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। चंद्र पूजा में ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जप करें। चंद्र पूजा के साथ ही इस दिन मीठे दूध का दान जरूरतमंद लोगों को जरूर करें।
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शिवलिंग का जलाभिषेक करें और जनेऊ, बिल्व पत्र, आंकड़े के फूल, धतूरा आदि शुभ चीजें चढ़ाएं। चंदन से श्रृंगार करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। मिठाई का भोग लगाएं। पूजा के बाद भगवान से क्षमा याचना करें। प्रसाद बांटें और खुद भी लें।
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