Mahakumbh 2025 का समापन, 66 करोड़ ने लगाई डुबकी, गंगा घाट पर योगी सरकार ने की पूजा-अर्चना

प्रयागराज में 45 दिनों तक चले महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) का समापन हो गया है। हालांकि, समापन के बाद भी श्रद्धालुओं की भीड़ संगम में स्नान के लिए उमड़ रही है। मेले में दुकानें अब भी लगी हुई हैं। महाकुंभ के समापन अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) संगम पहुंचे। उनके साथ डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, केशव प्रसाद मौर्य और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद रहे। सभी ने अरैल घाट पर झाड़ू लगाकर सफाई अभियान चलाया और गंगा नदी से कूड़ा-कचरा हटाया। इसके बाद गंगा की विधिवत पूजा-अर्चना की गई।

पीएम मोदी ने महाकुंभ पर लिखा ब्लॉग, मांगी माफी

महाकुंभ 2025 के समापन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एकता का महाकुंभ – युग परिवर्तन की आहट’ शीर्षक से ब्लॉग लिखा। उन्होंने इस विशाल आयोजन की सराहना करते हुए लिखा, ‘इतना बड़ा आयोजन आसान नहीं था। मैं मां गंगा, मां यमुना और मां सरस्वती से प्रार्थना करता हूं कि यदि हमारी आराधना में कोई कमी रह गई हो तो क्षमा करें। साथ ही, श्रद्धालुओं की सेवा में यदि कोई कमी रह गई हो, तो मैं जनता जनार्दन से क्षमा प्रार्थी हूं।’

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महाशिवरात्रि पर अंतिम स्नान, 1.53 करोड़ ने लगाई डुबकी

बुधवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर अंतिम स्नान संपन्न हुआ, जिसमें 1.53 करोड़ श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई। पूरे आयोजन के दौरान कुल 66.21 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं, जो अमेरिका की जनसंख्या (34 करोड़) से लगभग दोगुना और 193 देशों की कुल आबादी से अधिक है।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जताया आभार

प्रयागराज पहुंचे रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘मैं महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को धन्यवाद देने आया हूं। पीएम मोदी और सीएम योगी के नेतृत्व में यह आयोजन ऐतिहासिक रहा। हम यहां से सीख लेकर अपने कार्यों में सुधार करेंगे। मैं बिहार के सीएम नीतीश कुमार और मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव का भी धन्यवाद करता हूं, जिन्होंने महाकुंभ की गतिविधियों का जायजा लिया।’

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महाकुंभ 2025: आस्था, संस्कृति और एकता का प्रतीक

महाकुंभ 2025 ने दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में अपनी जगह बनाई। योगी सरकार का दावा है कि इस महाकुंभ में हिंदू आबादी का लगभग आधा हिस्सा शामिल हुआ। इस आयोजन ने भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत को एक बार फिर से विश्व मंच पर स्थापित किया।

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