लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. राष्ट्रीय स्तर से लेकर राज्यों तक कांग्रेस पार्टी के अंदर फूट सामने आ रही है. मुंबई में मिलिंद देवड़ा के इस्तीफे के बाद अब पूर्व अभिनेत्री और कांग्रेस नेता उर्मिला मातोंडकर (Urmila Matondkar) का लेटर बम सामने आया. इस लेटर में उन्होंने पार्टी के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं. लेकिन इस गोपनीय पत्र के बाहर आने के बाद से अब उर्मिला काफी नाराज हैं. उर्मिला के करीबियों की मानें तो वह जल्द ही कांग्रेस को छोड़कर दूसरी पार्टी का दामन थाम सकती हैं.
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो उर्मिला को बीजेपी और शिवसेना की तरफ से पार्टी ज्वाइन करने के लिए फिलर्स मिले हैं. उर्मिला इस बारे में सीरियसली सोच रही हैं. वहीं राज ठाकरे की पार्टी ने भी उर्मिला में दिलचस्पी दिखाई है, क्योंकि मराठी मुलगी, मुस्लिम हस्बैंड और जानी मानी अभिनेत्री होना, ये खूबियाँ किसी भी पार्टी के लिए वेल्यू एडिशन हैं.
कांग्रेस ने उर्मिला को लोकसभा चुनाव में मुंबई नॉर्थ से प्रत्याशी बनाया था लेकिन उन्हें बीजेपी के गोपाल शेट्टी से हार का सामना करना पड़ा था. उर्मिला ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मिलिंद देवड़ा को पत्र लिखकर अपनी हार का जिम्मेदार स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को बताया. सामने आए नौ पन्नों के इस पत्र में उर्मिला ने लिखा है कि स्थानीय नेताओं के बीच फूट, पार्टी में नेतृत्व की कमी, कमजोर प्लानिंग से उनकी लोकसभा में हार हुई.
उर्मिला ने लिखा कि उनके लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान नेताओं के बीच भेदभाव लगातार सामने आता रहा. लोकल स्तर पर पार्टी का कोई नेतृत्व नहीं था. उन्होंने यह पत्र 16 मई को मिलिंद देवड़ा को लिखा और कहा कि उन्होंने चुनाव जीतने के लिए कड़ी मेहनत की लेकिन उन्हें दूसरे नेताओं का अपेक्षित सहयोग नहीं मिला.
फिलहाल लोकसभा में हार को लेकर कांग्रेस में मंथन जारी है. राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से कांग्रेस के पदाधिकारियों ने इस्तीफे दिया है. इसी कड़ी में मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष से मिलिंद देवड़ा ने इस्तीफा दे दिया है. देवड़ा ने कहा कि वह पार्टी को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर भूमिका निभाने की आशा करते हैं. देवड़ा ने इस साल के आखिर में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव तक नगर पार्टी इकाई के कामकाज की देखरेख के लिए कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेताओं की सदस्यता वाला एक अस्थायी सामूहिक नेतृत्व (समिति) गठित करने की सिफारिश की है.
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