Cough Syrup Case: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रांची में शुभम जायसवाल (Shubham Jaiswal) की फर्म ‘शैली ट्रेडर्स’ के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान 189 फर्जी फर्मों का पता लगाया। जांच में सामने आया कि इन फर्मों के जरिए लगभग 450 करोड़ रुपये का कालाधन दिखाया गया था, जबकि असल में यह लेन-देन कफ सिरप की तस्करी छुपाने के लिए किया गया था। वाराणसी स्थित शुभम जायसवाल के घर से प्रादा और गुच्ची के डिजाइनर बैग और राडो तथा ऑडेमर्स पिगुएट जैसी हाई-एंड घड़ियां बरामद हुई हैं, जिनकी कीमत 1.5 करोड़ रुपये से अधिक बताई गई है।
आरोपी और उनके आलीशान खर्चों का खुलासा
जांच में यह भी सामने आया कि शुभम जायसवाल के साथ बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह, सहारनपुर के विभोर राणा और विशाल सिंह ने अपने घरों में करोड़ों रुपये का लक्जरी खर्च किया है। सभी घरों में महंगे इंटीरियर और आलीशान सुविधाएं देखी गई हैं। ईडी अधिकारियों ने घर और इंटीरियर की कीमत का आकलन करने के लिए सरकार द्वारा अधिकृत वैल्यूअर से मूल्यांकन करवाने का निर्णय लिया है ताकि जब्ती की कार्रवाई की जा सके।
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करोड़ों की कंस्ट्रक्शन लागत का खुलासा
आलोक प्रताप सिंह के घर की जांच में यह पता चला कि केवल कंस्ट्रक्शन पर ही लगभग 5 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। इसमें जमीन की कीमत शामिल नहीं है। आलोक के घर की लोकेशन राजधानी के पॉश इलाके में होने के कारण जमीन की कीमत का अलग से आंकलन किया जाएगा। वहीं, मेसर्स आर्पिक फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड और उसकी सहयोगी कंपनी मेसर्स इधिका लाइफ साइंसेज के ठिकानों पर भी कोडीन-बेस्ड कफ सिरप की गैर-कानूनी तस्करी और डायवर्जन में संलिप्तता का खुलासा हुआ है।
36 घंटे तक चली छापेमारी
ईडी की टीमों ने पिछले 36 घंटे से लगातार छापेमारी की है। सिंडिकेट के 25 ठिकानों पर कार्रवाई की गई, जिनमें लखनऊ, वाराणसी, अहमदाबाद, जौनपुर, सहारनपुर और रांची शामिल हैं। लखनऊ में आरोपी आलोक सिंह के ठिकानों पर भी छापेमारी की गई। इससे पहले, कफ सिरप की कालाबाजारी के मामले में 11 अक्टूबर को दीपक मानवानी और उनके दो साथी सूरज मिश्र व प्रीतम सिंह को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में एक अन्य आरोपी आरुष सक्सेना अभी फरार है और पुलिस उसकी तलाश में लगी हुई है।















































