नेपाल (Nepal) की राजधानी काठमांडू (Kathmandu) सोमवार को एक बड़े युवा विरोध प्रदर्शन का केंद्र बन गई, जब हजारों युवा सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शन के दौरान कुछ प्रदर्शनकारी संसद परिसर में घुस गए, जिसके बाद सुरक्षा बलों को हवाई फायरिंग करनी पड़ी। इस दौरान एक प्रदर्शनकारी की गोली लगने से मौत हो गई। सिविल अस्पताल के कार्यकारी निदेशक मोहन चंद्र रेग्मी ने बताया कि घायल अवस्था में लाए गए एक व्यक्ति की उपचार के दौरान मौत हो गई, हालांकि अभी तक उसकी पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है। दर्जनों अन्य घायल प्रदर्शनकारियों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में जारी है।
कई इलाकों में कर्फ्यू लागू
प्रदर्शन के हिंसक रूप लेने के बाद काठमांडू जिला प्रशासन कार्यालय ने कई प्रमुख क्षेत्रों में कर्फ्यू लागू कर दिया है। पहले यह कर्फ्यू केवल बनेश्वर क्षेत्र में था, लेकिन अब इसे राष्ट्रपति निवास (शीतल निवास), उपराष्ट्रपति निवास, सिंह दरबार, प्रधानमंत्री आवास सहित कई अन्य संवेदनशील इलाकों तक बढ़ा दिया गया है। मुख्य जिला अधिकारी छबिलाल रिजाल के अनुसार, यह कर्फ्यू दोपहर 12:30 बजे से रात 10 बजे तक लागू रहेगा और इसके दौरान इन क्षेत्रों में आवाजाही, सभाएं, प्रदर्शन और किसी भी तरह की सार्वजनिक गतिविधियां सख्त रूप से प्रतिबंधित रहेंगी।
सोशल मीडिया बैन पर विरोध
इस विरोध प्रदर्शन की मुख्य वजह सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए प्रतिबंध हैं। सरकार ने पिछले शुक्रवार से फेसबुक, यूट्यूब, एक्स सहित 26 बिना पंजीकृत प्लेटफॉर्म्स को नेपाल में बैन कर दिया है। इस कदम के बाद आम जनता, खासतौर से युवा वर्ग में भारी असंतोष फैल गया है। इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स के लाखों यूजर्स मनोरंजन, जानकारी और व्यवसायिक कार्यों के लिए इन पर निर्भर हैं, और उनका अचानक बंद हो जाना जनाक्रोश का कारण बना।
जनरेशन Z की अगुवाई में प्रदर्शन
इस प्रदर्शन की खास बात यह रही कि इसमें बड़ी संख्या में युवा, खासकर ‘जनरेशन Z’ के छात्र-छात्राएं शामिल हुए। हाथों में राष्ट्रीय ध्वज लेकर उन्होंने राष्ट्रगान गाकर विरोध की शुरुआत की और फिर सरकार विरोधी नारे लगाए। 24 वर्षीय छात्र युजन राजभंडारी ने बताया कि सोशल मीडिया बैन से तो वे तुरंत नाराज़ हो गए, लेकिन उनका आंदोलन केवल इसी मुद्दे तक सीमित नहीं है। वे नेपाल में गहराते संस्थागत भ्रष्टाचार और सरकार के दमनकारी रवैये के खिलाफ भी आवाज उठा रहे हैं। वहीं 20 वर्षीय छात्रा इक्षमा तुमरोक ने कहा,हम बदलाव चाहते हैं, पिछली पीढ़ियों ने जो सहा है, हम उसे आगे नहीं बढ़ने देंगे।